Book Title: Jyotirvignan Shabda Kosh
Author(s): Surkant Jha
Publisher: Chaukhambha Krishnadas Academy
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अकारादिशब्दाः विनश्येताम् विनश्येयुः विनष्ट विना विनाडिका विनाडी विनायक विनाश विनिघ्न विनिघ्नी विनिमय विनिमिष विनिमेष विनिर्दिष्ट विनिर्देश्य विनिर्मल विनिश्चय विनिश्चल विनिहत विनिहत्य विनेय विन्द (विजयाख्यमुहूर्तः), 'विन्दतः' विन्दति विन्दते विन्दन्ति विदन्ते विन्देत् विन्देत विन्देताम् विन्देते
ज्योतिर्विज्ञानशब्दकोषः पृष्ठाङ्काः | अकारादिशब्दाः
पृष्ठाङ्काः १९२ विन्देयाताम्
१८२ | विन्देयुः
१८२ विन्देरन्
१८२ विन्ध्य
२०४ विन्ध्यकूटक
२०० विन्ध्यनिलया
२२५ विन्ध्यवासिनी
२२५ १२४ विन्ध्यवासिनीमातृ
२२६ विन्ध्याचलनिवासिनी
२२५ ९० | विन्ध्यावतीपौत्री
२२६ २४८ विन
२५०, ९२ | विन्यस्त=(क्रमेण स्थापितः), ११, ११ | विन्यास (विभज्य स्थापनम्) विपक्ष
१२३, २०१ विपञ्चिका
२०८
२५, २०८ विपण
२४८ विपणि
२४७ | विपणी
२४७ विपद्
९, ९ | 'विपद्यते'
१९२ विपद्यन्ते १८२ | विपद्येत
१९२ | विपद्यते
१९२ १८२ | विपद्येयाताम्
१९२ १८२ | विपद्येरन्
१९२ १८२ विपद
१३५, ८९ | विपर्यय
२५२ १८२ | विपर्याय
२५२ १८२ | विपर्यास
२५२
विपञ्ची
१९२
१८२
१८२
१८२ विपल
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