Book Title: Jivvichar Author(s): Shantisuri, Vrajlal Pandit Publisher: Atmanand Jain Pustak Pracharak Mandal View full book textPage 8
________________ Shri Mahavir Jain Aradhana Kendra www. kobatirth.org Acharya Shri Kailassagarsuri Gyanmandir [ ५ ] (हिंगुल) हिंगुल - ईंगुर, (हरियाल) हरताल, (मणसिल) मैनसिल मनःशिला, (रसिद) रसेन्द्र - पारा-पारद (कागा घाउ) कनक श्रादि धातु-सोना, चांदी, ताम्बा. लोहा, रांगा, सीसा और जस्ता, (सेढ़ी) खटिकाखड़िया, (वन्निका) वर्णिका - लाल रङ्ग की मिट्टी, (अरण्य) अरणे हक- पत्थरों के टुकड़ों से मिली हुई सफेद पट्टी, (पलेचा) पलेवक -एक किस्मका पत्थर ॥३॥ (अन्भय) अभ्रक अबरक, (तूरी) एक किस्म की मिट्टी, (ऊस) चार भूमिकी - ऊसरकी मिट्टी, (मट्टी पाहाण जाइयो रोगा) मिट्टी और पत्थर की अनेक जातियां (सोवीरं जण) सुरमा, ( लूणाई ) लवण- नमक, (इच्चाई) इत्यादि ( उढवि भेआई) पृथ्वी काय जीवों के भेद हैं ॥ ४ ॥ भावार्थ- ह्फटिक, मणि, रत्न, मूंगा, हिंगलू, हरताल मैनसिल, पारा, सोना, चान्दी, ताम्बा, लोहा, रांगा, सीसा शीशा, जस्ता, खड़िया, लाल रंगकी मिट्टी, पाषाणके टुकड़ोंसे मिली हुई सफेद मिट्टी, पलेवक नामक पत्थर, अवरक, तूरी नामक मिट्टी, ऊमर की मिट्टी और भी काली, पीली आदि रंग की मिट्टी तथा पत्थर, सफेद, काला, लाल रंगका सुरमा, सांभर आदि नमक, इस प्रकार और भी बहुत से पृथ्वीकाय जीवोंके भेद समझना चाहिये । प्र० - क्या इन सोने-चान्दी के गहनों में भी जीव है ? : - For Private And Personal Use OnlyPage Navigation
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