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हैं, उन सात स्थानों के नरकों के नाम ये हैं: - रत्नप्रभा, शर्कराप्रभा, वालुकाप्रभा, पङ्कप्रभा, धूमप्रभा, तमः प्रभा और तमस्तमप्रभा ।
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" पञ्चेन्द्रिय जीवों में नारकों के भेद कहकर अब चार गाथाओं से पञ्चेन्द्रिय तिर्यञ्च और मनुष्यों भेद कहते हैं ।"
"पवेन्द्रिय तिर्यञ्च के भेद"
जलयर-थलयर - खयरा,
तिविहा पंचेंदिया तिरिक्खा य ।
सुसुमार मच्छ- कच्छव,
गाहा मगराइ जलचारी ||२०||
( जलघर ) जलचर, (थलयर) स्थलचर ( खयरा) खेचर (पञ्चेंदिया) पञ्चेन्द्रिय (तिरिक्खा) तिर्यञ्च (तिविहा) त्रिविध अर्थात् तीन प्रकार के हैं, (जलचारी) जल में रहने वाले (सुसुमार) शिशुमार - सुईस, जिसका आकार भैंस जैसा होता है, (मच्छ) मत्स्य - मछली, ( कच्छव) कच्छप - कछुआ, ( गाहा ) ग्राह - घड़ियाल, (मगराइ) मकर - मगर आदि हैं ॥ २० ॥
भावार्थ- पञ्चेन्द्रिय तिर्यञ्च के तीन भेद हैं:-जलचर स्थलचर और खेचर, जलचर जीव ये हैं:--सुईस, मछली, कछुआ, ग्राह, मकर आदि ।
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