Book Title: Jivvichar
Author(s): Shantisuri, Vrajlal Pandit
Publisher: Atmanand Jain Pustak Pracharak Mandal

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Page 53
________________ Shri Mahavir Jain Aradhana Kendra www.kobatirth.org Acharya Shri Kailassagarsuri Gyanmandir [ ५० ] प्रश्न-योनि किसको कहते हैं ? उ.-पैदा होने वाले जीवों के जिस उत्पत्तिस्थान में वर्ण, गन्ध, रस और स्पर्श, ये चारों समान हों, उस उत्पत्ति-स्थान को उन सब जीवों की एक योनि कहते हैं। दस पत्तेयतरूणं, ___ चउदस लक्खा हवंति इयरेसु । विगलिंदिएसु दो दो, चउरो पंचिंदितिरियाणं ॥ ४६॥ (पत्तेयतरूणं) प्रत्येक वनस्पतिकाय की (दस) दस लाख योनियाँ हैं, ( इयरेसु) प्रत्येक वनस्प. तिकाय से इतर-साधारण वनस्पतिकाय की (चउदस लक्खा ) चौदह लाख (हवंति ) हैं। (विगलिंदिएसु) विकलेन्द्रियों की (दो दो) दो दो लाख हैं, (पंचिंदितिरियाणं)पञ्चेन्द्रिय तिर्यञ्चों की ( चउरो) चार लाख हैं॥४६॥ भावार्थ-प्रत्येक बनस्पतिकायकी दस लाख, साधारण वनस्पतिकायकी चौदह लाख, बीन्द्रिय की दो लाख, त्रीन्द्रियकी दो लाख, चतुरिन्द्रिय की दो लाख और पञ्चेन्द्रिय तियेंञ्चों की चार लाख योनियां हैं। For Private And Personal Use Only

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