Book Title: Jivvichar
Author(s): Shantisuri, Vrajlal Pandit
Publisher: Atmanand Jain Pustak Pracharak Mandal

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Page 21
________________ Shri Mahavir Jain Aradhana Kendra www.kobatirth.org Acharya Shri Kailassagarsuri Gyanmandir [ १८ ] लाल रंग का जीव पैदा होता है जिसे पञ्जाबी चीजव्होटी और गुजराती गोकलगाय कहते हैंइत्यादि (तेइंदिय) त्रीन्द्रिय जीव हैं । १७॥ . भावार्थ-जिन जीवों को सिर्फ शरीर, जीभ और नाक हो, उनको त्रीन्द्रिय कहते हैं, वे ये हैं:-कानखजरा,खटमल,जू,चींटी,दोमक,पानाजमें पैदा होने वाली अल्ली मकोड़ा,घी में पैदा होने वाला जीव, शरीर में पैदा होने वाली चर्म, गाय के कान आदि में पैदा होने वाले कीड़े, गोशाला में पैदा होने वाले जीव, विष्ठा के कीड़े, गोचर के कीड़े, अनाज के कीड़े, कुन्थु, गोपालका, शक्कर और चावल में पैदा होने वाले जीव, इन्द्रगोप आदि । "चतुरिन्द्रिय जीवों के भेद कहते हैं" चउरिंदया य विच्छू, डिंकुण-भमरा य भमरिया-तिड्डा । मच्छिय-डंसा-मसगा, कंसारी-कविलडोलाई ॥१८॥ (विच्छू ) बिच्छू ,(ढिंकुण)ढिंकुण-घुड़साल आदि में पैदा होता है,(भमरा)भ्रमर-भौंरा,(भमरिया) भ्रमरिका-बरें, (तिड्डा) टिड्डी-टीढ़ी,(मच्छिय) मक्षिकामक्खी, मधुमक्खी, (डंसा) दंश-डांस; (मसगा) For Private And Personal Use Only

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