Book Title: Jivvichar
Author(s): Shantisuri, Vrajlal Pandit
Publisher: Atmanand Jain Pustak Pracharak Mandal

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Page 43
________________ Shri Mahavir Jain Aradhana Kendra www. kobatirth.org होता है । Acharya Shri Kailassagarsuri Gyanmandir [ ४० ] प्र० - उत्सेधांगुल किसको कहते हैं ? उ०- माठ यवो का जवों का एक उत्सेधांगुल BLA "अब आयु प्रमाण कहते है ।" बावीसा पुढवीए, सत्तय आउस्स तिन्न वाउस्स वास सहस्सा दस तरु, गणाण तेऊ तिरत्ताऊ ३४ (पुढवीए) पृथ्वी काय जीवों की आयु (बावीसा ) बाईस हज़ार वर्ष की है (आउस्स) अष्काय जीवों की आयु (सत्तय) सात हज़ार वर्ष की (वाउस) वायुकाय जीवों की आयु ( तिन्नि) तीन हजार वर्ष की (तरुगलास) प्रत्येक वनस्पतिकाय के जीव समुदाय की आयु (वाससहस्सा दस) वर्ष सहस्र-दश अर्थात् दस हज़ार वर्ष की (ते) तेजः काय जीवों की (तरताऊ) तीन अहोरात्र की आयु है ||३४|| भावार्थ- पृथ्वी काय जीवों की अधिक से अधिक आयु - उत्कृष्ट आयु- बाईस हजार वर्ष; अपकाय जीवों की वायु सात हजार वर्ष; वायुकाय जीवों की तीन हजार वर्ष प्रत्येक वनस्पतिकाय जीवों की दस हजार वर्ष और तेजकाय जीवों की तीन अहोरात्र आयु है, यह तो हुई उत्कृष्ट आयु, लेकिन जघन्य आयु सबकी अन्तर्मुहूर्त की है । For Private And Personal Use Only

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