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पत्ते, (धोहरि) थहर, (कुआरि ) घीकुवार, गुग्गुलि) गुग्गुल, (गलोप) गिलोय - गुर्च, (पमुहाइ ) आदि, (छिन्नरुहा) छिन्नरुह - काटनेपर भी उगनेवाली कुछ वनस्पतियाँ ॥१०॥
भावार्थ- बालू, सूरन. मूली का कन्द, अंकुर, नये कोमल पत्ते, और फुल्लि जो कि बासी अन्न में पांच रंग की पैदा होती है और सिवार, वर्षा ऋतु में पैदा होने वाली छत्राकार वनस्पति, अद्रक, हल्दी, कर्चूक, गाजर, नागरमोथा, बथुआ, थेग नामक कंद, पालकी, जिनमें बीज पैदा न हुये हों, ऐसे कोमल फल, जिनमें नसें प्रकट न हुई हों. वे, और सन आदि के पत्ते, थूहर, घीकुवार, गुग्गुल तथा काटने पर बो देने से उगने वाली गुर्च आदि वनस्पतियां, ये सब साधारण वनस्पतिकाय कहलाते हैं, इनको अनन्तकाय और बादर निगोदके जीव भी कहते हैं। यहां यह समझना चाहिये कि ये सब गीली वनस्पतियाँ ही सजीव होती हैं, सूखी नहीं । इच्चाइणो अगे, हवंति भेया अणतकायाणं । तेसिं परिजाणरणत्थं, लक्खणमेयं सुए भणियं । ११
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( इच्चाइणो ) इत्यादि, (गे) अनेक, (भेया) भेद, (अणनकायाणं) अनन्तकाय जीवोंके, (हवंति) हैं, (तेसिं) उनके, (परिजाणणत्थं) अच्छी तरह जानने के
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