________________
Shri Mahavir Jain Aradhana Kendra
www.kobatirth.org
Acharya Shri Kailassagarsuri Gyanmandir
[ ९ ] तनुवात, ये सब, तथा और भी वायुकाय-जीवों के भेद हैं।
प्र०-घनवात और तनुगत में क्या फर्क है ?
उ०-घनवात जमे हुए घी की तरह गाढ़ा है और तनुवात तपाये हुए घो की तरह तरल है; घनवात वर्ग तथा नरक-पृथ्वी का प्राधार है और तनुवात नरक-पृथ्वी के नीचे है ।।
"वनस्पतिकाय जीवों के भेद कहते हैं।" साहारण-पत्तेआ,
वणसइजीवा दुहा सुए भणिआ। जेसिमणंताणं तणु,
एगा साहारणा तेऊ ॥८॥ (सुए) श्रुत में-शास्त्र में, (वणसह जीवा) वनस्पति-काय के जीव, (साहारण पत्तेत्रा) साधारण
और प्रत्येक ऐसे, (दुहा) दो प्रकारके भणिया) कहे गये हैं, (जेसिमताणं) जिन अनन्त जीवों का (एगा) एक (तणु) शरीर हो, (तेज) वे (साहारणा) साधारण कहलाते हैं ॥३॥
भावार्थ--सिद्धान्त में वनस्पतिकाय जीवों के दो भंद कहे गये:-साधारण-वनस्पति-काय और प्रत्येक वनस्पतिकाय। जिन अनन्त जीवोंका शरीर एक हो वे जीव, 'साधारण वनस्पतिकाय' कहलाते हैं।
For Private And Personal Use Only