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[ ७ ] आकाश में बादलोंके घिरनंपर कभी कभी सूक्ष्म जल तुषार गिरते हैं, वे, तथा घनोदधि ये सब, तथा और भी अप काय जीव के भेद हैं। प्र०-घनोदधि किसे कहते हैं ? उ०-स्वर्ग और नरक-पृथ्वी के आधार-भूत जलीयपिण्डको।
"अग्निकायजीवों के भेद कहते हैं ।" इंगाल-जाल-मुम्मुर,--
उक्कासणि-कणग-विज्जुमाईआ। अगणिजिआणं भेआ,
नायव्वा निउणबुद्धीए ॥६॥ (इंगाल) अंगार-ज्वालारहित काष्ठकी अग्नि, (जाल) ज्वाला, (मम्मर) कण्डेकी अथवा भरसाय की गरम राख में रहनेवाले अग्नि-कण, (उक्का) उल्का-अाकाशसे जो अग्निकी वर्षा होती है वह, (अमणि) अशनि-बजकी अग्नि, (कणग) आकाशमें उड़नेवालें अग्नि-कण, (विज्जुमाईश्रा) विजली की अग्नि इत्यादि, (अगणिजिाणं) अग्निकाय जीवों के (भेडा)भेद (निउणबुद्धीए) निपुण-बुद्धिसे-सूक्ष्मबुद्धिसे (नायव्वा) जानना ॥६॥
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