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दादा श्री जिनकुशलसूरि स्तवन
दादा श्रीजिनकुशलसूरि स्तवन जोहो धन वेला धन सा घडो, दादा जब भेटू तुम्ह पाय । जी हो इम मन मइ धरतउ थकउ,
दादा हूं आयउ मुनिराय ॥१॥ 'कुशलसूरि' पूरउ वछित काज । जी हो हूँ सेवक छू ताहरउ,
___ दादा मुझ दुखियइ तुझ लाज।कु०॥२॥ जी हो जागइ जग माहे तु परगडउ,दादा जाणइ इद नरिंद। जी हो कस्तूरी केसर करी, दादा नित पूजइ नर वृद ।कु०३। जी हो दुख दोहग दूरइ टलइ, दादा जपतां अहनिश नाम । जी हो पुत्रअ दियइ पुत्रिया,दादा निरगुण करइगुण धाम ।कु०४। जी हो 'अहिपुर' माहइ दीपतउ, दादा देराउर सुविशेष । जी हो जैसलगिरि'वरपूजियइ,दादा भाजइ दुख अशेष ।कु०५। जी हो 'वीरमपुर' 'सोवनगिरई', दादा जोधपुरइ' विलसत । जी हो 'जइतारणि' वलि 'मेडतइ',
दादा लाछ दियई बहु भति ।।क०॥६॥ जी हो 'अहमदाबाद' 'खभाइतइ', दादा पाटणि पूरइ आस । जी हो श्री ‘सूरत' 'विकमपुरइ', दादा तोडइ आपद पास।कु०७ जी हो लाभपुरइ'तिम 'आगरई',दादा महिमा महिम' मझार । जी हो 'सांगानयरि' 'अमरसरइ',
__ . दादा सेवक जन सुखकारि ।।कु०॥८॥ जी हो इम पुर पुर थुभ प्रणमीयइ,दादा नासइ सहु विषवाद । जो हो 'राजसमुद्र' इम वीनवई,दादा समरयां देजो साद कु०६।