Book Title: Jinrajsuri Krut Kusumanjali
Author(s): Agarchand Nahta
Publisher: Sadul Rajasthani Research Institute Bikaner

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Page 311
________________ २४८ जिनराजसूरि कृति-कुसुमांजलि १३८ क ऊगामी ७४, १८० ओलगइ २, ७, ८, १४, २१,२८ कंग १२९ उदय होताहै १३१ सेवा ऊघड़ी १९२ खुल गई करते है, उद्घटित मोलजो ऊणी झणी १३७ उदास, न्यून, ओलीजे मदध्वनि ऊन्ही १२२ उष्ण कइयई १८० कभी ऊभगियइ ८३, २०९ उकताना कउगला १२५ कुल्ला तग आना,विपरीत कचरता १३ रोदता है ऊभगी २० तग आना, कचोलडी २१८ कटोरी उव जाना कडनी १४२ गोद का ऊभग १४७ उव जाय कडि १२९ कटि ऊपाडइ २२५ उठाना कडे १२९, १७४ पीछ ऊपाडि दे १६६ उठादिया कन्हा १५६ पास ऊबरयर ७५ वचगया कनकची १७१ सोने की ऊवेखि २१० उपेक्षा कर कनकफल २४४ धतूरा कमाई १९ उपाजित कम्म ५६ कम एकणवार १६३ ऐक ही वार कयावि एकणि १६९ एक ही ५५ कदापि एकरस्यो कहाणउ ६० एक वार १६५ कहा जाना कसै एग १५५ कष्ट दे एगारमि काठलि ५७ ग्यारहवा १७७ कठ मे काख बजाइ १९९ उल्लास ७५ ऐसा व्यक्त करना काच सकल ४५ काचका टुकड़ा ओझा १८६ उपाध्याय, काचली ७३. लघु काष्ट पात्र शिक्षक काछ वाचनिकलक१६३ लगोट और ओठभ १९८, २१४ जवान का सच्चा एवड़

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