Book Title: Jinrajsuri Krut Kusumanjali
Author(s): Agarchand Nahta
Publisher: Sadul Rajasthani Research Institute Bikaner
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५४ हमला री जाति ५५ प्रोहितोया नी जाति ५६ काची कली अनार की रे हां ५७ जीरा नी जाति
५८ वे वे मुनिवर विहरण पांगुरथा रे ५६ वाल्हेसर मुझ वीनती गोडीचा ६० कोइलउ परबत घू घलउ रे
६१ यालु रे सवायु वयर हु माहरउ रे ६२ चूनडी नी
६३ मुझनइ हो दरसण न्याय न तूं दीयइ ६४ का लिउ करतार भरणी सी परि लिखू ६५ मृगावती राजा मनि मानी
६६ करता सुतउ प्रीति सह होसी करइ रे ६७ प्रियु चल े परदेस, सबे गुण ल े चल े ६८ मोरो मन मोहधो इस डर ६६ आज लगइ धरि अधिक जगीस ७० श्री चन्द्रप्रभु पाहूं गोर ७१ काम केलि रति हास ७२ समाचारी जूजूई ७३ नायक मोहि नचाबीयउ ७४ मोरी मात जी अनुमति द्यो
७५ काल मन तान त ७६ अनंतवीरज मई ताहरउ
७७ शांति जिन भामरगडइ जाऊ'
१५४, १६६
१५६
१५६
१७०
१७४
१७८
१-१
१८३
१८५
१८६
१८६,२१०
१५०
१६२
१६४
६७,२२३
TEE
२०३
२०५
२०७
२०६
२१२
२१३
२१५
२१६
७८ प्रीतम, रहउ रहउ सनतकुमार
२२८
७६ जीतउ० हो यदुपति राय, वसुदेव करउ बधामणारे २३०
८० जोल्हण वहिला श्राविज्यो र
८१ तीर्थकर र चउवीसे मई संस्तव्या र
२३२
२४२

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