Book Title: Jinrajsuri Krut Kusumanjali
Author(s): Agarchand Nahta
Publisher: Sadul Rajasthani Research Institute Bikaner

View full book text
Previous | Next

Page 316
________________ तेाविनइ तेडीजय तेय तेरमि त्रिखा त्रिह वडी astra ह त्रोटइ थडिल ठाम श्रभाणा घट्ट थकी थडी थाइसि थाकते थाकी थापण थापणि पास्यइ शिवरा २२० बुलाकर ४२ बुलाना ५६ तेज ५७ तेरहवा १९१ प्यास १६७ तीन १९२ मान लिया मानोगे वर्षाके पानी १५ २०९ शब्द कोश से पड़ी दरार १६६ टोटा २३५ ठाठ २३६ से १८० बच्चे को खडा होने का अभ्यास कराना होऊ गा २४२ २४२ रहते थ २०८ स्थडिल भूमि दहीजइ १३० १६५ स्तभित हो गये थक गई १३८ १५४ धरोहर थीणधी थोक ३९ धरोहर १८२ होगी ४८ स्थविरो, वृद्ध साधु दय दयकार द दसण आवरणी ५७ दर्शनावरणीय कर्म १६३, २०१ दान दिया जाता है दरियाई दसग दसूठण दाखउ दाघी दिखाडो दिणयर fars दीठ दीठउ दीसs दीह दुक्कर दुग ५५ निद्रा १८९ बहुतायत दुगधा दुनी २५३ २३५, २३८ वस्त्र विशेष ५४ २२५ दस जन्मसे दसवें दिन का उत्सव २११ जलती, दग्व होती है ७, १९ दिखाओ १४८ दग्ध १३७ दिखाओ ५८ दिनकर १७७ देकर १२१ प्रति ७६ देखा १६६ दीखता १२९, १४२ दिन दिवस २११, २३० दुष्कर ५४, ५५ दो ५६ घृणा दुर्गंछा १६६ ससार

Loading...

Page Navigation
1 ... 314 315 316 317 318 319 320 321 322 323 324 325 326 327 328 329 330 331 332 333 334 335