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शालिभद्र धन्ना चौपाई
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रे हीयडा तु अति निठुर, अवर न ताहरी जोड । इव. विरह न विहसतो, जतन कर लख कोड ।।२।। हीयडा तू इण अवसरै जो होवत सत खंड । तो जाणत हेजालूयो, बीजउ सह पाखड ।।३।। मुझ हीयडो गिरि सिल थकी, कठन कीयो करतार । घण घाए विरहा तण, भेदयो नही लिगार ॥४॥
ढाल २८- राग केदारो काची कली अनार की रे हां ए जाति इतला दिन हु जागती रे हाँ, मिलस्यै बार बे च्यार मेरे नदन । हिव वच्छ मेलो दोहिलो रे हा, जीवन प्राण आधार मेरे० ।।१।। माइडी नयण निहारिने रे हाँ, बोलो बोल बि च्यार मेरे । अबोल्या इणवार मे रे हाँ, थाये केम करार मेरे० ।।२।। इण अवसर ना बोलडा रे हाँ, जे बोलिस दस वीस मेरे । ते मुझ प्रालबन हुस्यै र हा, स भारिस निस दीस मेरे० ॥३॥ तप करतो गिणतो नही रे हाँ, क'या नो लबलेश मेरे । सैगू माणस आविने रे हा, इम कहिताँ स देश मेरे० ॥४॥ पण हू साच न मानती रे हाँ, बैठोते हिज देह मेरे० । पजररूप निहारिनै रे हॉ, साच मानु हिव तेह मेरे नं० ॥५॥ भूख खमी सकतो नही रे हाँ, तिरस न सहतो तेम मेरे न० । मासखमण पाणी पख र हाँ, तें कीधा छे केम मेरे न० ॥६॥ सुरतरु फल आस्वादतो र हाँ, अन्ना तणउ आचार मेरे । तेइ किम कीधा पारणइ र हाँ, अरस विरस आहार मेर० ॥७|| हाथे उछरयो हतो रे हाँ, लहती ताहरी ढाल मेर० । कहिने स्यु छानो हतो रे हा, मा हु तो मोसाल मेरे० ॥८॥ व्रत लेतै छाडी हुती, रे हा, ते जामण निरधार मेरे० । हिवरणाँ वलि अरणवोलवै रे हाँ, खत ऊपर द्य खार मेरे ||६|| चलतो इण गामतरै रे हा, लाबो द्य' छै छेह मेरे० ।