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आत्म शिक्षा गीत
आत्म शिक्षा गीत
राग-सारग जीवन मेरे यह तेरउ कउण विसेस । साधु कहात करत धन आशा,
ता तइ हो फिरत विदेस ॥१॥ज०॥ पेम कइ फंद परत जण जण सु , ता विण धरत अदेस ।
देखि पर रमणि नयनो नचावत, अरु पठवत सदेस ॥२जी० __ कूप परत कर दीप लई जो, तिण सुका उपदेस । _ 'राजसमुद्र' भणि लहि परमारथ,सफल करउ इहु भेस ।।३जी०
सीखामण गीत
राग-केदारा गउडी. घर छोडि परदेस भमइ, मेलिवा बहु परि आथ । परलोक जातां जीवनइ काई, नावइ रे ते पिण साथ ॥१॥ जीवन लाल सुरण इक मेरे सीख । । जेहवी मीठी रे सरस रस ईख ॥जी॥आंकणी।। करि कूड परिजन पोषीयइ, ते सहु रंग पतंग । वोलाइ मरहट थी वलइ, कोइ नावइ रे ताहरइ संग ॥२जी० गोरडी प्रमुख मिली रडई, स्वारथ पुकारइ ताम । पुण एम मनहि न चीतवइ,
पिसुडइ पामइ रे किण गति ठाम ॥३॥जी॥ वड बड़ा नरवर इम चाल्या, तू करइ कवण आलोच । जिण वाय ऊडइ हाथिया, तिहा केही रे पूणी नी सोच ॥४जी०