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चतुर्थ वक्षस्कार - चुल्लहिमवान् वर्षधर पर्वत के शिखर २२६ **-18-12-28-08-10-04-19-08-12-09---08-10-08-00-00-00-19-19-8-8-28-08-10---*-*-*-*-*-*-*-*-*-*-*-*-*-* बारस जोयणसहस्साई आयामविक्खंभेणं, एवं विजयरायहाणीसरिसा भाणियव्वा..... एवं अवसेसाणवि कूडाणं वत्तव्वया णेयव्वा, आयामविक्खंभपरिक्खेवपासायदेवयाओ सीहासणपरिवारो अट्ठो य देवाण य देवीण य रायहाणीओ णेयव्वाओ, चउसु देवा चुल्लहिमवंत १ भरह २ हेमवय ३ वेसमणकूडेसु ४, सेसेसु देवयाओ।
से केणटेणं भंते! एवं वुच्चइ-चुल्लहिमवंते वासहरपव्वए २?
गोयमा! महाहिमवंतवासहरपव्वयं पणिहाय आयामुच्चत्तुव्वेहविक्खंभपरिक्खेवं पडुच्च ईसिं खुडतराए चेव हस्सतराए चेव णीयतराए चेव, चुल्लहिमवंते य इत्थ देवे महिड्डिए जाव पलिओवमट्टिइए परिवसइ, से एएणटेणं गोयमा! एवं वुच्चइ-चुल्लहिमवंते कासहरपव्वए २, अदुत्तरं च णं गोयमा! चुल्लहिमवंतस्स० सासए णामधेजे पण्णत्ते जंण कयाइ णासि ३।। .. शब्दार्थ - अढाइजे - अढ़ाई-ढ़ाई, परिक्खेव - परिक्षेप-परिधि, वाउद्घय - हवा द्वारा उड़ायी जाती हुई, उम्मीलिए - खोली हुई, पत्थडे - प्रसृत, ईसिं - कुछ, हस्स - हस्व, णीय - निम्न, उव्वेह - जमीन में गहराई, अट्ठो - अर्थ वर्णन। . भावार्थ - हे भगवन्! चुल्लहिमवान् वर्षधर पर्वत के कितने शिखर कहे गए हैं?
__ हे गौतम! उसके १. सिद्वायतनकूट २. चुल्लहिमवान् कूट ३. भरत कूट ४. इलादेवी कूट ५. गंगादेवी कूट ६. श्री कूट ७. रोहितांशा कूट ८. सिंधुदेवी कूट ६. सुरादेवी कूट १०. हैमवत कूट ११. वैश्रमण कूट। ये ग्यारह शिखर बतलाए गए हैं।
हे भगवन्! चुल्लहिमवान् पर्वत पर सिद्धायतन कूट किस स्थान पर कहा गया है?
हे गौतम! वह पूर्वी लवण समुद्र के पश्चिम में तथा चुल्लहिमवान् कूट के पूर्व में बतलाया गया है। उसकी ऊँचाई पांच सौ योजन है। यह मूल में पांच सौ योजन, मध्य में तीन सौ पिचहत्तर योजन एवं उपरितन भाग में दो सौ पचास योजन है। मूल में उसकी परिधि कुछ अधिक पन्द्रह सौ इकासी योजन, बीच में कुछ कम ग्यारह सौ छियासी .योजन तथा उपरितन भाग में कुछ कम सात सौ इक्यानवें योजन प्रमाण हैं।
यह मूल में चौड़ा, मध्य में संकरा तथा ऊपरी भाग में पतला है। वह आकृति में गाय के
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