Book Title: Jambudwip Pragnapti Sutra
Author(s): Nemichand Banthiya, Parasmal Chandaliya
Publisher: Akhil Bharatiya Sudharm Jain Sanskruti Rakshak Sangh

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Page 487
________________ ४७० जम्बूद्वीप प्रज्ञप्ति सूत्र - - - - पह णं भंते! चंदे जोइसिंदे जोइसराया चंदवडेंसए विमाणे चंदाए रायहाणीए सभाए सुहम्माए तुडिएणं सद्धिं महया हयणट्टगीयवाइय जाव दिव्वाइं भोगभोगाई भुंजमाणे विहरित्तए? गोयमा! णो इणढे समढे, से केणटेणं भंते! जाव विहरित्तए? गोयमा! चंदस्स णं जोइसिंदस्स जोइसरण्णो चंदवडेंसए विमाणे चंदाए रायहाणीए सभाए सुहम्माए माणवए चेइयखंभे वइरामएसु गोलवदृसमुग्गएसु बहूइओ जिणसकहाओ सण्णिखित्ताओ चिटुंति, ताओ णं चंदस्स अण्णेसिं च बहणं देवाण य देवीण य अच्चणिजाओ जाव पजुवासणिजाओ, से तेणटेणं गोयमा! णो पभूत्ति। ___पभू णं चंदे...सभाए सुहम्माए चउहिं सामाणियसाहस्सीहिं एवं जाव दिव्वाई भोगभोगाइं भुंजमाणे विहरित्तए केवलं परियारिडीए, णो चेव णं मेहुणवत्तियं। विजया १ वेजयंती २ जयंती ३ अपराजिया ४ सव्वेसिं गहाईणं एयाओ अग्गमहिसीओ, छावत्तरस्सवि गहसयस्स एयाओ अग्गमहिसीओ वत्तव्वाओ, इमाहि गाहाहिति इंगालए १ वियालए २ लोहियंके ३ सणिच्छरे चेव ।। आहुणिए ५ पाहुणिए ६ कणगसणामा य पंचेव ११॥१॥ सोमे १२ सहिए १३ अस्सासणे य १४ कजोवए १५ य कब्बुरए १६। अयकरए १७ दुंदुभए संखसणामेवि तिण्णेव २०॥२॥ एवं भाणियव्वं जाव भावकेउस्स अग्गमहिसीओत्ति। शब्दार्थ - मेहुण - मैथुन। भावार्थ - हे भगवन्! ज्योतिष्क देवों के इन्द्र, ज्योतिष्क देवों के राजा, चंद्र के कितनी देवियाँ आख्यात हुई हैं? हे गौतम! चंद्रप्रभा, ज्योत्स्नाभा, अर्चिमाली, प्रभंकरा - ये चार प्रधान देवियाँ आख्यात हुई हैं। उनमें से प्रत्येक प्रधान देवी का चार-चार सहस्र देवी परिवार कहा गया है। एक-एक Jain Education International For Personal & Private Use Only www.jainelibrary.org

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