Book Title: Jambudwip Pragnapti Sutra
Author(s): Nemichand Banthiya, Parasmal Chandaliya
Publisher: Akhil Bharatiya Sudharm Jain Sanskruti Rakshak Sangh
View full book text
________________
४७४
जम्बूद्वीप प्रज्ञप्ति सूत्र -
गोयमा! चंदिमसूरिया दुवे तुल्ला सव्वत्थोवा, णक्खत्ता संखेजगुणा, गहा संखेजगुणा, तारारूवा संखेजगुणा इति॥
शब्दार्थ - थोवा - कम।
भावार्थ - हे भगवन्! चन्द्र, सूर्य, नक्षत्र एवं ताराओं में कौन, कितने, अल्प, बहुत एवं तुल्य या विशेषाधिक है? ____ हे गौतम! चन्द्र एवं सूर्य तुल्य या समान हैं। वे सबसे कम हैं। इनकी अपेक्षा नक्षत्र संख्येय गुणा अधिक हैं। नक्षत्रों की अपेक्षा ग्रह संख्यात गुणा अधिक हैं तथा ग्रहों की अपेक्षा . तारे संख्यात गुणा अधिक हैं।
तीर्थंकरादि संख्या-क्रम .
(२०८) जम्बुद्दीवे णं भंते! दीवे जहण्णपए वा उक्कोसपए वा केवइया तित्थयरा . सव्वग्गेणं पण्णता?
गोयमा! जहण्णपए चत्तारि उक्कोसपए चोत्तीसं तित्थयरा सव्वग्गेणं पण्णत्ता।
जम्बुद्दीवे णं भंते! दीवे जहण्णपए वा उक्कोसपए वा केवइया चक्कवट्टी सव्वग्गेणं पण्णत्ता?
गोयमा! जहण्णपए चत्तारि उक्कोसपए तीसं चक्कवट्टी सव्वग्गेणं पण्णत्ता इति, बलदेवा तत्तिया चेव जत्तिया चक्कवट्टी, वासुदेवावि तत्तिया चेवत्ति।
जम्बुद्दीवे णं भंते! दीवे केवइया णिहिरयणा सव्वग्गेणं पण्णता? गोयमा! तिण्णि छलुत्तरा णिहिरयणसया सव्वग्गेणं पण्णत्ता। जम्बुद्दीवे णं भंते! दीवे केवइया णिहिरयणसया परिभोगत्ताए हव्वमागच्छंति?
गोयमा! जहण्णपए छत्तीसं उक्कोसपए दोण्णि सत्तरा णिहिरयणसया गरिभोगत्ताए हव्वमागच्छंति।
जम्बुद्दीवे० केवइया पंचिंदियरयणसया सव्वग्गेणं पण्णत्ता? गोयमा! दो दसुत्तरा पंचिंदियरयणसया सव्वग्गेणं पण्णत्ता।
Jain Education International
For Personal & Private Use Only
www.jainelibrary.org

Page Navigation
1 ... 489 490 491 492 493 494 495 496 497 498