Book Title: Jambudwip Pragnapti Sutra
Author(s): Nemichand Banthiya, Parasmal Chandaliya
Publisher: Akhil Bharatiya Sudharm Jain Sanskruti Rakshak Sangh

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Page 494
________________ सप्तम् वक्षस्कार - जंबूद्वीप की नित्यता, अनित्यता ४७७ जंबूद्वीप का विस्तार __ (२०६) - जम्बुद्दीवे णं भंते! दीवे केवइयं आयामविक्खम्भेणं केवइयं परिक्खेवेणं केवइयं उव्वेहेणं केवइयं उई उच्चत्तेणं केवइयं सव्वग्गेणं पण्णत्ते? · · गोयमा! जम्बुद्दीवे दीवे एगं जोयणसयसहस्सं आयामविक्खम्भेणं तिण्णि जोयणसयसहस्साई सोलस य सहस्साई दोण्णि य सत्तावीसे जोयणसए तिण्णि य कोसे अट्ठावीसं च धणुसयं तेरस य अंगुलाई अद्धंगुलं च किंचिविसेसाहियं परिक्खेवेणं पण्णत्ते, एगं जोयणसहस्सं उव्वेहेणं णवणउइं जोयणसहस्साइं साइरेगाई उद्धं उच्चत्तेणं साइरेगं जोयणसयसहस्सं सव्वग्गेणं पण्णत्ते। भावार्थ - हे भगवन्! जंबूद्वीप का आयाम-विस्तार, परिधि, उद्वेध - भूमिगत गहरा भाग, ऊँचाई - ये समग्रतया कितने बतलाए गए हैं? हे गौतम! जंबूद्वीप का सम्पूर्णतया आयाम-विस्तार एक लाख योजन, परिधि ३१६२२७ योजन ३ कोस १२८ धनुष एवं १३- अंगुल से कुछ ज्यादा कही गई है। इसकी जमीन में गहराई १००० योजन तथा ऊँचाई ६६,००० योजन से कुछ अधिक बतलाई गई है। जंबूद्वीप की नित्यता, अनित्यता (२१०) . जम्बुद्दीवे णं भंते! दीवे किं सासए असासए? · गोयमा! सिय सासए सिय असासए। से केणटेणं भंते! एवं वुच्चइ-सिय सासए सिय असासए? गोयमा! दव्वट्ठयाए सासए वण्णपजवेहिं गंधपजवेहिं रसपजवेहिं फासपजवेहिं असासए, से तेणटेणं गोयमा! एवं वुच्चइ-सिय सासए सिय असासए। Jain Education International For Personal & Private Use Only www.jainelibrary.org

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