Book Title: Jambudwip Pragnapti Sutra
Author(s): Nemichand Banthiya, Parasmal Chandaliya
Publisher: Akhil Bharatiya Sudharm Jain Sanskruti Rakshak Sangh

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Page 473
________________ जम्बूद्वीप प्रज्ञप्ति सूत्र पुष्य एक रात्रि दिवस परिसम्पन्न करता है । तब सूर्य पुरुष छाया प्रमाण से चौबीस अंगुल अधिक अनुपर्यटन करता है। उस मास के अन्तिम दिन परिपूर्ण चार पद पुरुष छाया प्रमाण होती है। हे भगवन्! हेमन्त काल के तृतीय मास माघ को कितने नक्षत्र परिसम्पन्न करते हैं? हे गौतम! उसे पुष्य, अश्लेषा एवं मघा ये तीन नक्षत्र परिसम्पन्न करते हैं। - ४५६ पुष्य चवदह, अश्लेषा पन्द्रह तथा मघा नक्षत्र एक रात्रि दिवस परिसम्पन्न करता है। तब सूर्य पुरुष छाया प्रमाण से बीस अंगुल अधिक अनुपर्यटन करता है। उस मास के अंतिम दिन पोरसी तीन पद पुरुष छाया प्रमाण से आठ अंगुल अधिक होती है। हे भगवन्! हेमन्तकाल के चतुर्थ मा फाल्गुन को कितने नक्षत्र परिसम्पन्न करते हैं? हे गौतम! उसे मघा, पूर्वाफाल्गुनी एवं उत्तराफाल्गुनी ये तीन नक्षत्र परिसम्पन्न करते हैं। मघा चवदह, पूर्वाफाल्गुनी पन्द्रह तथा उत्तराफाल्गुनी एक दिन-रात परिसम्पन्न करते हैं। तब सूर्य पुरुष छाया प्रमाण से सोलह अंगुल अधिक अनुपर्यटन करता है। उस मास के अंतिम दिन तीन पद पुरु छाया प्रमाण से चार अंगुल अधिक पोरसी होती है। - हे भगवन्! ग्रीष्मकाल के प्रथम मास - चैत्र मास का कितने नक्षत्र परिसमापन करते हैं? हे गौतम! उत्तराफाल्गुनी, हस्त एवं चित्रा ये तीन नक्षत्र उसका परिसमापन करते हैं। उत्तराफाल्गुनी चवदह, हस्त पन्द्रह एवं चित्रा एक रात-दिन का परिसमापन करता है। तब सूर्य पुरुष छाया प्रमाण से १२ अंगुल अधिक अनुपर्यटन करता है । उस मास के अंतिम दिन पूरे. तीन पद पुरुष छाया प्रमाण पोरसी होती है। हे भगवन्! ग्रीष्मकाल के द्वितीय मास - वैशाख का कितने नक्षत्र परिसमापन करते हैं? - हे गौतम! उसका तीन नक्षत्र - चित्रा स्वाति एवं विशाखा परिसमापन करते हैं। चित्रा चवदह, स्वाति पन्द्रह एवं विशाखा नक्षत्र एक दिन-रात परिसम्पन्न करते हैं। तब सूर्य पुरुष छाया प्रमाण से आठ अंगुल अधिक अनुपर्यटन करता है। उस महीने के अंतिम दिन दो पद पुरुष छाया प्रमाण से आठ अंगुल अधिक पोरसी होती है। - हे भगवन् ! ग्रीष्मकाल के तृतीय मास ज्येष्ठ का कितने नक्षत्र परिसमापन करते हैं? हे गौतम! विशाखा, अनुराधा, ज्येष्ठा एवं मूल ये चार नक्षत्र उसका परिसमापन करते हैं। विशाखा चवदह, अनुराधा आठ, ज्येष्ठा सात तथा मूल एक दिवस रात्रि का परिसमापन करते हैं। तब सूर्य पुरुष छाया प्रमाण से चार अंगुल अधिक अनुपर्यटन करता है । उस मास के अंतिम दिन दो पद पुरुष छाया प्रमाण से चार अंगुल अधिक पोरसी होती है। Jain Education International - For Personal & Private Use Only www.jainelibrary.org

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