Book Title: Jambudwip Pragnapti Sutra
Author(s): Nemichand Banthiya, Parasmal Chandaliya
Publisher: Akhil Bharatiya Sudharm Jain Sanskruti Rakshak Sangh

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Page 483
________________ ४६६ जम्बूद्वीप प्रज्ञप्ति सूत्र गमनशील अपरिमित गति युक्त अपरिसीम बल, शक्ति पौरुष एवं पराक्रमशील, उच्च गंभीर स्वर . से गगन को आपूरित करते हुए, दिशाओं को गुंजित करते हुए, गजरूपधारी चार सहस्त्र देव विमान के दक्षिणी पार्श्व को परिवहन करते हैं। ____ चन्द्रविमान के पश्चिम में श्वेत वर्ण युक्त, सौभाग्य युक्त, उत्तम प्रभामय, इधर-उधर हिलती हुई थूही से सुशोभित, ठोस लोहमय, बड़े हथौड़े की तरह सघन, सुगठित, उत्तम लक्षण युक्त, किंचिद् झुके हुए ओष्ठोपेत चंक्रमित-टेढ़ी-मेढ़ी, सुंदर, प्रफुल्लित, चपल गति युक्त, संगत, झुके हुए प्रमाणोपेत, देह के पार्श्व भागों से युक्त, परिपुष्ट, गोल, सुसंस्थित आकार वाली कटि युक्त, लटकते हुए लम्बे-लम्बे, सुंदर, उत्तम लक्षण युक्त, प्रमाणोपेत, रमणीय, बालों से शोभित गंडस्थल युक्त, समान खुर एवं पूंछ युक्त, समान रूप से उत्कीर्ण किए गए से, तीक्ष्ण सींगों से युक्त, अत्यंत सूक्ष्म, चिकने बालों को धारण किए हुए परिपुष्ट, विशाल, सुंदर स्कन्ध प्रदेश वाले, नीलम की तरह भासमान, कटाक्ष - तिरछे नेत्रों से युक्त, यथोचित प्रमाणोपेत, विशिष्ट, प्रशस्त, रमणीय गग्गरक संज्ञक विशेष परिधान - झूल से ससोभित, हिलने-डुलने से परस्पर घर्षण से बजने जैसी ध्वनि से समवेत घरघरक संज्ञक आभरण विशेष से विमंडित, वक्षस्थल पर मणिरत्नों तथा घंटियों की माला से बने वैकक्षिक आभूषण से सज्जित, इस प्रकार उज्वल शोभामय, पद्म, उत्पलों की अखंडित, सुरभिमय मालाओं से विभूषित, वज्ररत्नमय खुर युक्त, मणि, स्वर्ण आदि से खुरों के ऊर्ध्ववर्ती भागों से युक्त, स्फटिक मय दंतयुक्त, तपनीय स्वर्णमय जिह्वा, तालु युक्त एवं तपनीय स्वर्णनिर्मित रस्से द्वारा विमान से जुड़े हुए इच्छानुरूप, उल्लासमय, मन की गति की तरह सत्वरगामी, मनोरम अप्रतिम गति युक्त, अपरिमित बल, वीर्य, पराक्रमयुक्त, अत्यधिक गर्जना द्वारा आकाश को पूरित करते हुए, दिशाओं को शोभित करते हुए चार सहस्र वृषभ रूपधारी देव विमान के पश्चिमी पार्श्व को उठाए चलते हैं। ___चन्द्रविमान के उत्तर में श्वेत वर्ण के सुभग, सुंदर प्रभायुक्त, तारुण्य युक्त, हरिमेलक एवं चमेली की कलियों जैसे नेत्रों से शोभित, तिरछी, चंचल, पुलकित, चपल गतियुक्त, खड्डे आदि को लांघने, ऊँचा कूदना, वेगपूर्वक दौड़ना, तीव्रता पूर्वक, त्रिपदी - तीन पैरों से दौड़ने में समर्थ आदि अश्वविषयक गतिक्रमों के अभ्यस्त, नीचे की ओर लटकते हुए, गले में पहनाए हुए सुंदर अलंकारों से विभूषित, झुके हुए, प्रमाणोपेत, सुनिष्पन्न, पार्श्व भाग युक्त, परिपुष्ट, गोल, सुंदर कटियुक्त, लटकते हुए, लंबे, उत्तम लक्षणयुक्त, सुंदर, चँवर जैसे पूँछ से युक्त, अत्यंत सूक्ष्म सुनिष्पन्न, चिकने, कोमल देह की छवि से विभूषित, मृदु, उज्ज्वल, सूक्ष्म, प्रशस्त लक्षणयुक्त, Jain Education International For Personal & Private Use Only www.jainelibrary.org

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