Book Title: Jambudwip Pragnapti Sutra
Author(s): Nemichand Banthiya, Parasmal Chandaliya
Publisher: Akhil Bharatiya Sudharm Jain Sanskruti Rakshak Sangh
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प्रज्ञप्ति सूत्र
नक्षत्र - चन्द्र एवं सूर्य का योग (१३)
एएसि णं भंते! अट्ठावीसाए णक्खत्ताणं अभिइणक्खत्ते कइमुहुत्ते चंदेण सद्धिं जोगं जोएइ ?
गोयमा! णव मुहुत्ते सत्तावीसं च सत्तट्टिभाए मुहुत्तस्स चंदेण सद्धिं जोगं जोएइ, एवं इमाहिं गाहाहिं अणुगंतव्वं -
अभिइस्स चंदजोगो सत्तट्ठिखंडिओ अहोरत्तो । तेहुति णव मुहुत्ता सत्तावीसं कलाओ य॥१॥ सयभिसया भरणीओ अद्दा अस्सेस साइ जेट्ठा य । एए छण्णक्खत्ता पण्णरसमुहुत्त संजोगा ॥ २ ॥ तिणेव उत्तराई पुणव्वसू रोहिणी विसाहा य । एए छण्णक्खत्ता पणयालमुहुत्तसंजोगा ॥ ३ ॥ अवसेसा णक्खत्ता पण्णरसवि हुंति तीसइमुहुत्ता। चंदंमि एस जोगो णक्खत्ताणं मुणेयव्वो ॥४॥
एएसि णं भंते! अट्ठावीसाए णक्खत्ताणं अभिईणक्खत्ते कइ अहोरत्ते सूरेण सद्धिं जोगं जोएइ ?
गोयमा ! चत्तारि अहोरत्ते छच्च मुहुत्ते सूरेण सद्धिं जोगं जोएइ, एवं इमाहिं गाहाहिं णेयव्वं
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अभिई छच्च मुहुत्ते चत्तारि य केवले अहोरते ।
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सूरेण समं गच्छइ एत्तो सेसाण वोच्छामि ॥ १ ॥ सयभसया भरणीओ अद्धा अस्सेस साइ जेट्ठा य । वच्वंति मुहुत्ते इक्कवीस छच्चेव होरते ॥ २ ॥
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