Book Title: Jambudwip Pragnapti Sutra
Author(s): Nemichand Banthiya, Parasmal Chandaliya
Publisher: Akhil Bharatiya Sudharm Jain Sanskruti Rakshak Sangh

View full book text
Previous | Next

Page 466
________________ सप्तम् वक्षस्कार - कुल, उपकुल, कुलोपकुल, अमावस्या, पूर्णिमा ४४६ हे भगवन्! श्रावणी पूर्णिमा के साथ क्या कुल, उपकुल एवं कुलोपकुल नक्षत्रों का योग होता है? .हे गौतम! इन तीनों का ही योग होता है। कुल योग के अन्तर्गत धनिष्ठा का, उपकुल योग के अन्तर्गत श्रवण का तथा कुलोपकुल योग के अन्तर्गत अभिजित का योग होता है। श्रावणी पूर्णमासी के साथ कुल यावत् कुलोपकुल का योग होता है। हे भगवन्! भाद्रपदी पूर्णिमा के साथ क्या कुल, उपकुल और कुलोपकुल का योग होता है? हे गौतम! इन तीनों का ही योग होता है। कुल योग में उत्तर भाद्रपदा, उपकुल योग में पूर्वभाद्रपदा तथा कुलोपकुल योग में शतभिषक नक्षत्र का योग होता है। ___ भाद्रपद पूर्णिमा के साथ कुल यावत् कुलोपकुल का योग होता है अथवा यह पूर्णिमा कुलयोग युक्त यावत् कुलोपकुल योग युक्त होता है। इसी प्रकार गौतम ने आसोजी पूर्णिमा के संदर्भ में पूछा। भगवन् ने कहा - हे गौतम! कुल एवं उपकुल का होता है, कुलोपकुल का नहीं होता। कुलयोग में अश्विनी तथा उपकुलयोग में रेवती नक्षत्र का योग होता है। यों आश्विनी पूर्णिमा के साथ कुल एवं उपकुल का योग होता है। वह इन दोनों के योग से युक्त कही गई है। हे भगवन्! कार्तिकी पूर्णिमा के साथ कुल, उपकुल, कुलोपकुल का योग होता है? - हे गौतम! कुल एवं उपकुल का योग होता है। कुलोपकुल का नहीं होता। . कुल योग में कृत्तिका एवं उपकुल में भरणी नक्षत्र का योग होता है। यों कार्तिकी पूर्णिमा यावत् इन दोनों से युक्त कही गई है। हे भगवन्! मार्गशीर्ष पूर्णिमा के साथ क्या कुल, उपकुल या कुलोपकुल का योग होता है? ... हे गौतम! कुल एवं उपकुल का योग होता है, कुलोपकुल का नहीं होता। कुल योग में मृगशिरा का तथा उपकुल में रोहिणी नक्षत्र का योग होता है, मार्गशीर्ष पूर्णिमा यावत् पूर्ववत् वक्तत्य है। . इसी प्रकार शेष आषाढ़ी पूर्णिमा तक का वर्णन यावत् वैसा ही है। इतना अंतर है - पौषी एवं ज्येष्ठामूली पूर्णिमा के साथ कुल, उपकुल एवं कुलोपकुल इन तीनों का योग होता है। Jain Education International For Personal & Private Use Only www.jainelibrary.org

Loading...

Page Navigation
1 ... 464 465 466 467 468 469 470 471 472 473 474 475 476 477 478 479 480 481 482 483 484 485 486 487 488 489 490 491 492 493 494 495 496 497 498