Book Title: Jambudwip Pragnapti Sutra
Author(s): Nemichand Banthiya, Parasmal Chandaliya
Publisher: Akhil Bharatiya Sudharm Jain Sanskruti Rakshak Sangh

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Page 461
________________ ४४४ जम्बूद्वीप प्रज्ञप्ति सूत्र **-*-*-*-*-*-*-*-*-*-*-*-*-*-*-00--00-00-10-24-10-28-02-28-10-0-00-00-00-00-00-00-08----- उत्तरफाल्गुनी, उत्तराषाढ़ा एवं उत्तरभाद्रपदा, पुनर्वसु, रोहिणी, विशाखा - इन नक्षत्रों का सूर्य के साथ बीस अहोरात्र तथा तीन मुहूर्त पर्यन्त योग रहता है। ___ अवशिष्ट पन्द्रह नक्षत्रों का सूर्य के साथ तेरह अहोरात्र एवं बारह मुहूर्त तक योग रहता है। कुल, उपकुल, कुलोपकुल, अमावस्या, पूर्णिमा (१९४) कइ णं भंते! कुला कइ उवकुला कइ कुलोवकुला पण्णत्ता? .. गोयमा! बारस कुला बारस उवकुला चत्तारि कुलोवकुला पण्णत्ता, बारस कुला, तंजहा-धणिट्ठा कुलं १ उत्तरभद्दवया कुलं २ अस्सिणी कुलं ३ कत्तिया कुलं ४ मिगसिर कुलं ५ पुस्सो कुलं ६ मघा कुलं ७ उत्तरफगुणी कुलं ८ चित्ता कुलं । विसाहा कुलं १० मूलो कुलं ११ उत्तरासाढा कुलं १२। मासाणं परिणामा होति कुला उवकुला उ हेट्ठिमगा। होंति पुण कुलोवकुला अभीइसय अद्द अणुराहा॥१॥ बारस उवकुला तंजहा-सवणो उवकुलं १ पुव्वभद्दवया उवकुलं २ रेवई उवकुलं ३ भरणी उवकुलं ४ रोहिणी उवकुलं ५ पुणव्वसू उवकुलं ६ अस्सेसा उवकुलं ७ पुव्वफग्गुणी उवकुलं ८ हत्थो उवकुलं ६ साई उवकुलं १० जेट्ठा उवकुलं ११ पुव्वासाढा उवकुलं १२। चत्तारि कुलोवकुला तंजहा - अभिई कुलोवकुला १ सयभिसया कुलोवकुला २ अद्दा कुलोवकुला ३ अणुराहा कुलोवकुला ४। कइ णं भंते! पुण्णिमाओ कइ अमावासाओ पण्णत्ताओ? गोयमा! बारस पुण्णिमाओ बारस अमावासाओ पण्णत्ताओ०, तंजहासाविट्ठी पोट्ठवई आसोई कत्तिगी मग्गसिरी पोसी माही फग्गुणी चेत्ती वइसाही जेट्ठामूली आसाढी। साविट्ठिण्णं भंते! पुण्णिमासिं कइ णक्खत्ता जोगं जोएंति? Jain Education International For Personal & Private Use Only www.jainelibrary.org

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