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पंचम वक्षस्कार अभिषेक समायोजन
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णच्चासणे णाइदूरे सुस्सूसमाणे जाव पज्जुवासइ, एवं जहा अच्चुयस्स तहा जाव ईसाणस्स भाणियव्वं, एवं भवणवइवाणमंतर जोइसिया य सूरपज्जवसाणा सरणं २ परिवारेणं पत्तेयं २ अभिसिंचंति ।
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तए णं से ईसाणे देविंदे देवराया पंच ईसाणे विउव्वइ २ त्ता एगे ईसाणे भगवं तित्थयरं करयलसंपुडेणं गिण्हइ २ त्ता सीहासणवरगए पुरत्थाभिमु सणसणे एगे ईसाणे पिट्ठओ आयवत्तं धरेइ, दुवे ईसाणा उभओ पासिं चामरुक्खेवं करेंति एगे ईसाणे पुरओ सूलपाणी चिट्ठा ।
तणं से सक्क देविंदे देवराया आभिओगे देवे सद्दावेइ २ त्ता एसोवि तह चेव अभिसेयाणत्तिं देइ तेऽवि तह चेव उवणेंति, तए णं से सक्के देविंदे देवराया भगवओ तित्थयरस्स चउद्दिसिं चत्तारि धवलवसभे विउव्वइ सेए संखदल- विमलणिम्मल - दधिघण - गोखीर- फेणरयय - णिगरप्पगासे पासाईए दरिसणिजे अभिरूवे पडिरूवे, तए णं तेसिं चउण्हं धवलवसभाणं अट्ठाहिं सिंगेहिंतो अट्ठ तोयधाराओ णिग्गच्छंति, तए णं ताओ अट्ठ तोयधाराओ उड्डुं वेहासं उप्पयंति २ ता एगओ मिलायंति २ त्ता भगवओ तित्थयरस्स मुद्दाणंसि णिवयंति । तए णं से सक्के देविंदे देवराया चउरासीईए सामाणियसाहस्सीहिं एयस्सवि तहेव अभिसेओ भाणियव्वो जाव णमोऽत्थु ते अरहओत्तिकट्टु वंदइ णमंसइ जाव पज्जुवासइ। शब्दार्थ - पंउंजंति आलेखन करता है, प्रयुक्त करते हैं, लिहिऊण जाणुस्सेहपमाणमित्त - घुटने के प्रमाण तुल्य, णिकर - समूह, पग्गहित्तु - पकड़ कर, पयएणं प्रयत्नेन सावधानी पूर्वक, अपुणरुत्तेहिं - पुनरुक्ति रहित, संथुणइ - संस्तुति करता है, ज कर्मरज रहित, वेहासं - आकाश ।
भावार्थ - परिवार सहित अच्युतेन्द्र विशाल वृहद् अभिषेक सामग्री द्वारा भगवान् तीर्थंकर का अभिषेक करता है । वैसा कर वह हाथ जोड़ता है, अंजलि बांधे हाथों को मस्तक पर ले जाता है यावत् जय-विजय शब्दों द्वारा उन्हें वर्धापित करता है यावत् जय-विजय शब्दों को पुनः प्रयुक्त करता है यावत् रौंएदार कोमल कसैले (त्रिफला आदि के धुएं से सुवासित) वस्त्र से भगवान के शरीर का प्रोंछन करता है यावत् उन्हें कल्पवृक्ष की तरह अलंकृत, विभूषित करता है
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19-09-0
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