Book Title: Jambudwip Pragnapti Sutra
Author(s): Nemichand Banthiya, Parasmal Chandaliya
Publisher: Akhil Bharatiya Sudharm Jain Sanskruti Rakshak Sangh
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सप्तम् वक्षस्कार - नक्षत्र योग
४३७ ------------------------------------2-10-08हे गौतम! वे अट्ठाईस बतलाए गए हैं - १. अभिजित २. श्रवण ३. धनिष्ठा ४. शतभिषक ५. पूर्वभाद्रपदा ६. उत्तर भाद्रपदा ७. रेवती ८. अश्विनी ६. भरणी १०. कृत्तिका ११. रोहिणी १२. मृगशिरा १३. आर्द्रा १४. पुनर्वसु १५. पुष्य १६. अश्लेषा १७. मघा १८. पूर्वाफाल्गुनी १६. उत्तराफाल्गुनी २०. हस्त २१. चित्रा २२. स्वाति २३. विशाखा २४. अनुराधा २५. ज्येष्ठा २६. मूल २७. पूर्वाषाढ़ा और २८ उत्तराषाढ़ा।
नक्षत्र योग
(१८९) एएसि णं भंते! अट्ठावीसाए णक्खत्ताणं कयरे णक्खत्ता जे णं सया चंदस्स दाहिणेणं जोयं जोएंति, कयरे णक्खत्ता जे णं सया चंदस्स उत्तरेणं जोयं जोएंति, कयरे णक्खत्ता जे णं चंदस्स दाहिणेणवि उत्तरेणवि पमइंपि जोयं जोएंति, कयरे णक्खत्ता जे णं चंदस्स दाहिणेणंपि पमइंपि जोयं जोएंति, कयरे णक्खत्ता जे णं सया चंदस्स पमई जोयं जोएंति?
गोयमा! एएसि णं अट्ठावीसाए णक्खत्ताणं तत्थ णं जे ते णक्खत्ता जे णं सया चंदस्स दाहिणेणं जोयं जोएंति ते णं छ, तंजहा
मियसिरं १ अद्द २ पुस्सो ३ ऽसिलेस ४ हत्थो ५ तहेव मूलो य ६। बाहिरओ बाहिरमंडलस्स छप्पेते णक्खत्ता॥१॥
तत्थ णं जे ते णक्खत्ता जे णं सया चंदस्स उत्तरेणं जोयं जोएंति ते णं बारस, तंजहा-अभिई सवणो धणिट्ठा सयभिसया पुव्वभद्दवया उत्तरभद्दवया रेवई अस्सिणी भरणी पुव्वाफग्गुणी उत्तराफग्गुणी साई, तत्थ णं जे ते णक्खत्ता जे णं सया चंदस्स दाहिणओवि उत्तरओवि पमइंपि जोयं जोएंति ते णं सत्त, तंजहाकत्तिया रोहिणी पुणव्वसू मघा चित्ता विसाहा अणुराहा, तत्थ णं जे ते णक्खत्त जे णं सया चंदस्स दाहिणओवि पमइंपि जोयं जोएंति ताओ णं दुवे आसाढाऊ
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