Book Title: Jambudwip Pragnapti Sutra
Author(s): Nemichand Banthiya, Parasmal Chandaliya
Publisher: Akhil Bharatiya Sudharm Jain Sanskruti Rakshak Sangh

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Page 452
________________ सप्तम् वक्षस्कार - संवत्सर, अयन, ऋतु आदि ४३५ --00-00-00-00-00-00--*--*-00-00-00-00-00-00-00-00-9-10-08-00-00-00-00-00-00-00-00-00-00-00-00-00-00-00-09-19-10-19 कृष्ण पक्ष की प्रतिपदा को दिन में बालव करण तथा रात्रि में कौलव करण होता है। द्वितीया को दिन में स्त्री विलोचनकरण तथा रात्रि में गरादि करण होता है। तृतीया को दिन में वणिज करण तथा रात्रि में विष्टि करण होता है। चतुर्थी को दिन में बव करण एवं रात्रि में बालव करण होता है। पंचमी को दिन में कौलव करण एवं रात्रि में स्त्री विलोचन करण होता है। षष्ठी को दिन में गरादि करण तथा रात्रि में वणिज करण होता है। सप्तमी को दिन में विष्टि करण और रात्रि में बव करण होता है। अष्टमी को दिन में बालव करण और रात्रि में कौलव करण होता है। नवमी को दिन में स्त्री विलोचन करण एवं रात्रि में गरादि करण होता है। दशमी को दिन में वणिज करण और रात्रि में विष्टि करण होता है। एकादशी को दिन में बव करण और रात्रि में बालव करण होता है। द्वादशी को दिन में कौलव करण और रात्रि में स्त्री विलोचन करण होता है। त्रयोदशी को दिन में गरादि करण और रात्रि में वणिज करण होता है। चतुर्दशी को दिन में विष्टि करण और रात्रि में शकुनी करण होता है। अमावस्या को दिन में चतुष्पद करण और रात्रि में नाग करण होता है। शुक्ल पक्ष की प्रतिपदा को दिन में किंस्तुघ्न करण होता है। संवत्सर, अयन, ऋतु आदि ... किमाइया णं भंते! संवच्छरा किमाइया अयणा किमाइया उऊ किमाइया मासा किमाइया पक्खा किमाइया अहोरत्ता किमाइया मुहुत्ता किमाइया करणा किमाइया णक्खत्ता पण्णत्ता? गोयमा! चंदाइया संवच्छरा दक्खिणाइया अयणा पाउसाइया उऊ सावणाइया मासा बहुलाइया पक्खा दिवसाइया अहोरत्ता रोद्दाइया मुहत्ता बालवाइया करणा अभिजियाइया णक्खत्ता पण्णत्ता समणाउसो! इति। ___पंचसंवच्छरिए णं भंते! जुगे केवइया अयणा केवइया उऊ एवं मासा पक्खा अहोरत्ता केवइया मुहत्ता पण्णत्ता? गोयमा! पंचसंवच्छरिए णं जुगे दस अयणा तीसं उऊ सट्ठी मासा एगे वीसुत्तरे पक्खसए अट्ठारसतीसा अहोरत्तसया चउप्पण्णं मुहुत्तसहस्सा णव सया पण्णत्ता। Jain Education International For Personal & Private Use Only www.jainelibrary.org

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