Book Title: Jambudwip Pragnapti Sutra
Author(s): Nemichand Banthiya, Parasmal Chandaliya
Publisher: Akhil Bharatiya Sudharm Jain Sanskruti Rakshak Sangh
View full book text
________________
षष्ठ वक्षस्कार - जम्बूद्वीप के खण्ड आदि
३७७
गोयमा! तओ तित्था पण्णत्ता, तंजहा-मागहे वरदामे पभासे, जंबुद्दीवे० एरवए वासे कइ तित्था पण्णत्ता? ।
गोयमा! तओ तित्था पण्णत्ता, तंजहा-मागहे वरदामे पभासे।
जंबुद्दीवे णं भंते! दीवे महाविदेहे वासे एगमेगे चक्कवट्टिविजए कइ तित्था पण्णत्ता? । गोयमा! तओ तित्था पण्णत्ता, तंजहा-मागहे वरदामे पभासे, एवामेव सपुव्वावरेणं जंबुद्दीवे २ एगे बिउत्तरे तित्थसए भवंतीतिमक्खायं।
जंबुद्दीवे णं भंते! दीवे के वइयाओ विजाहरसेढीओ केवइयाओ आभिओगसेढीओ पण्णत्ता?
गोयमा! जंबुद्दीवे दीवे अट्ठसठ्ठी विजाहरसेढीओ अट्ठसठ्ठी आभिओगसेढीओ पण्णत्ताओ, एवामेव सपुव्वावरेणं जंबुद्दीवे दीवे छत्तीसे सेढीसए भवंतीतिमक्खाय।
जंबुद्दीवे णं भंते! दीवे केवइया चक्कवट्टिविजया केवइयाओ रायहाणीओ केवइयाओ तिमिसगुहाओ केवइयाओ खंडप्पवायगुहाओ केवइया कयमालया देवा केवइया णहमालया देवा केवइया उसभकूडा० पण्णता? ___ गोयमा! जंबुद्दीवे दीवे चोत्तीसं चक्कवट्टि विजया चोत्तीसं रायहाणीओ चोत्तीसं तिमिसगुहाओ चोतीसं खंडप्पवायगुहाओ चोतीसं कयमालया देवा चोतीसं णमालया देवा चोतीस उसभकुडा पव्वया पण्णत्ता।
जंबुद्दीवे णं भंते! दीवे केवइया महदहा पण्णता?
गोयमा! सोलस महद्दहा पण्णत्ता, जंबुद्दीवे णं भंते! दीवे केवइयाओ महाणईओवासहरपवहाओ केवइयाओ महाणईओ कुंडप्पवहाओ पण्णत्ताओ?
गोयमा! जंबुद्दीवे २ चोद्दस महाणईओ वासहरपवहाओ छावत्तरं महाणईओ कुंडप्पवहाओ एवामेव सपुव्वावरेणं जंबुद्दीवे दीवे णउई महाणईओ भवंतीतिमक्खायं।
जंबुद्दीवे.... भरहेवएसु वासेसु कइ महाणईओ पण्णता?
Jain Education International
For Personal & Private Use Only
www.jainelibrary.org

Page Navigation
1 ... 392 393 394 395 396 397 398 399 400 401 402 403 404 405 406 407 408 409 410 411 412 413 414 415 416 417 418 419 420 421 422 423 424 425 426 427 428 429 430 431 432 433 434 435 436 437 438 439 440 441 442 443 444 445 446 447 448 449 450 451 452 453 454 455 456 457 458 459 460 461 462 463 464 465 466 467 468 469 470 471 472 473 474 475 476 477 478 479 480 481 482 483 484 485 486 487 488 489 490 491 492 493 494 495 496 497 498