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जम्बूद्वीप प्रज्ञप्ति सूत्र
हे भगवन्! यह 'महाविदेह क्षेत्र' इस नाम से क्यों पुकारा जाता है?
हे गौतम! भरत, ऐरवत, हैमवत, हैरण्यवत, हरिवर्ष तथा रम्यक्-इन क्षेत्रों की अपेक्षा महाविदेह क्षेत्र लम्बाई, चौड़ाई, आकार और परिधि में अधिक विपुल, अधिक महान् तथा वृहद् प्रमाण युक्त है। इसमें बहुत विशाल देह युक्त मनुष्य निवास करते हैं। अत्यंत ऋद्धिशाली यावत् एक पल्योपम आयुष्य युक्त महाविदेह संज्ञक देव यहाँ निवास करता है। हे गौतम! यही कारण है कि वह महाविदेह क्षेत्र इस शाश्वत नाम से कहा जाता है। यह वर्तमान, भूत, भविष्यत् में कभी न रहा हो, ऐसा नहीं है। गन्धमादन वक्षस्कार पर्वत
(१०३) . कहि णं भंते! महाविदेहे वासे गंधमायणे णामं वक्खारपव्वए पण्णत्ते?
गोयमा! णीलवंतस्स वासहरपव्वयस्स दाहिणेणं मंदरस्स पव्वयस्स उत्तरपच्चत्थिमेणं गंधिलावइस्स विजयस्स पुरत्थिमेणं उत्तरकुराए पच्चत्थिमेणं एत्थ णं महाविदेहे वासे गंधमायणे णामं वक्खारपव्वए पण्णत्ते।
उत्तरदाहिणायए पाईणपडीण-विच्छिण्णे तीसं जोयणसहस्साइं दुण्णि य णउत्तरे जोयणसए छच्च य एगूण-वीसइभाए जोयणस्स आयामेणं णीलवंतवासहरपव्वयं तेणं चत्तारि जोयणसयाई उद्धं उच्चत्तेणं चत्तारि गाउयसयाई उव्वेहेणं पंचजोयणसयाई विक्खम्भेणं तयणंतरं च णं मायाए २ उस्सेहुव्वेहपरिवड्डीए परिवड्डमाणे २ विक्खम्भपरिहाणीए परिहायमाणे २ मंदरपव्वयंतेणं पंच जोयणसयाई उद्धं उच्चत्तेणं पंच गाउयसयाई उव्वेहेणं अंगुलस्स असंखिज्जइभागं विक्खम्भेणं पण्णत्ते गयदंतसंठाणसंठिए सव्वरयणामए अच्छे०, उभओ पासिं दोहिं पउमवरवेइयाहिं दोहि य वणसंडेहिं सव्वओ समंता संपरिक्खित्ते। . गंधमायणस्स णं वक्खार-पव्वयस्स उप्पिं बहुसमरमणिजे भूमिभागे जाव आसयति...।
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