Book Title: Jaindharmvarstotra Godhulikarth Sabhachamatkareti Krutitritayam
Author(s): Hiralal R Kapadia
Publisher: Bhadrankar Prakashan
View full book text ________________ श्रीभावप्रभसूरिवर्यविरचितं श्री कल्याणमन्दिरा'न्त्यपादसमस्यामय मभिनवकल्याणमन्दिरा'परनामकं // श्रीजैनधर्मवरस्तोत्रम् // (स्वोपज्ञटीकासमलङ्कृतम्) श्रीशारदायै नमः // श्रीमहिमाप्रभसूरिगुरुभ्यो नमः // नत्वा पार्श्वजिनेन्द्राय, गुरवे वाणयेऽपि च / * कल्याणमन्दिरान्त्याङ्घि-समस्यारचनाश्रितम् // 1 // अनुष्टुप्' जैनधर्मवरस्तोत्रं, कृतं यन्मयका मुदा / तस्य च क्रियते वृत्तिः, श्रीभावप्रभसूरिणा // 2 // युग्मम् सूत्रम्कल्याणमन्दिरमिमं कुरु दानमुख्यं धर्मं चतुर्विधमनश्वरसौख्यहेतुम् / सम्यक्त्वभूषिततमं भवभृद् ! भवाब्धौ पोतायमानमभिनम्यजिनेश्वरस्य // 1 // वसन्ततिलका हिंसादिदोषरहितं सहितं शमाद्यै र्घातिक्षयान्निगदितं महितं महेन्द्रैः / स्वर्गापवर्गफलितं कलितं विवेकैस्तस्याहमेष किल संस्तवनं करिष्ये // 2 // युग्मम् 1. अनुष्टुप्-लक्षणम्-"श्लोके षष्ठं गुरु ज्ञेयं, सर्वत्र लघु पञ्चमम् / द्विचतुःपादयोर्हस्वं, सप्तमं दीर्घमन्ययोः // 1 // " 2. युग्म-लक्षणम्-"द्वाभ्यां युग्ममिति प्रोक्तं, त्रिभिः श्लोकैविशेषकम् / चतुर्भिः कलापकं स्यात्, तदूर्ध्वं कुलकं स्मृतम् // 1 // " 3. 'पोताय ! मानमभिनम्य जिनेश्वरस्य' 'पोताय ! मानमभिनम्यजिनेश्वर ! स्य' वेत्यपि पदच्छेदः / 4. वसन्ततिलका-लक्षणम्-"उक्ता वसन्ततिलका तभजा जगौ गः / "
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