Book Title: Jaindharmvarstotra Godhulikarth Sabhachamatkareti Krutitritayam
Author(s): Hiralal R Kapadia
Publisher: Bhadrankar Prakashan

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Page 167
________________ 150 श्रीजैनधर्मवरस्तोत्रम् ग्रन्थादिसूचनम् पृष्ठाङ्कः 29 103 शब्दप्रभेदे क्रमाङ्कः पाठः 24. अर्थिव्यथापारनिदानदानो० 25. अर्हन् अर्हन्तः 26. अविवेकिनि भूपाले अशोकवृक्षः सुरपुष्पवृष्टिः 28. .अस्य क्षोणिपतेः परार्धपरया 29. अहं च तं च राजेन्द्र ! 30. अहो कष्टमहो कष्टं 27. 31. 32. 115 आख्याहि भद्रे ! प्रियदर्शनस्य आज्ञाभङ्गो नृपवधः आत्तदीक्षो नमश्चक्रे आयुर्वायुचलं सुरेश्वरधनु० 123 to a w 35. इक्कारस अंगाइ 36. इच्छतीश ! परशासने जनो 37. इति सरससुवाक्यैः 38. इत्युन्नदन्तं प्रसरन्मदं तं 39. इत्यायुश्चतुरशीतिः पद्मा० 17, 341 119 123 सार० 45 40. 41. 42. 43. arcm / उ ओ उचियं दाणं एवं उत्तमपत्तं साहू उवासिया कंचनमंडियंगी 102 साहित्यदर्पणे परि० 7, पृ० 418 44. एकं ध्याननिमीलनान्मुकुलितं 53 45. एकं तावदकृत्यमेतदतुलं 113 46. एकेन्द्रियस्यापि तवास्य चक्रिन् ! 119 47. एकाहमपि यो दीक्षा० 19 48. एते पठन्ति कृतिनो बत जैनरक्षा० 55 पद्मा० 17, 358 1. उपदेशतरङ्गिण्यां० पृ० 234 /

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