Book Title: Jaindharmvarstotra Godhulikarth Sabhachamatkareti Krutitritayam
Author(s): Hiralal R Kapadia
Publisher: Bhadrankar Prakashan
View full book text ________________ 158 श्रीजैनधर्मवरस्तोत्रम् ग्रन्थादिसूचनम् पृष्ठाङ्क: 68 क्रमाङ्कः पाठः 240. प्रशमरसनिमग्नं 241. प्रासुकजानुमितानि 242. प्रोल्लासयाम्यभ्रपथेऽथ वात पद्मा० 14, 22 पद्मा० 17, 343 119 थम नैषधे 1, श्लो० 133 243. फलेन मूलेन च वारिभूरूहां 244. फालं जलं घटं चैव . 245. बहुसो अणेण कयं 246. बाणवई कोडीओ 247. बारस गुण अरिहंता 248. बाल-स्त्री-मन्द-मूर्खाणां 249. बाद्वैव दण्डपारुष्यं 250. बिंटट्ठाई सुरभिं 251. ब्रह्मा येन कुलालवन्नियमितो 252. ब्रह्मा लूनशिरा हरिर्दशि सरुग् 253. ब्राह्मी चन्दनबालिका भगवती 115 प्रवचन० नीतिशतके श्लो० 92 69 81 मङ्गल० 13, 254. भग्नी भगिनी 255. भवबीजाङ्कुरजनना 256. भवाभिनन्दिनां सा च 257. __ भस्त्रा काचन भुरिरन्ध्रविगलत्० भावत्थवाओ दव्वत्थवाओ बहुगुणो / 259. भीरोः सतस्तव कथं त्वमरेश्वरोऽसौ 260. भुक्त्वा शतपदं गच्छेत् 261. भूङ् प्राप्तौ 262. भूतग्रस्तमलीनशून्यहृदयो 263. भृङ्गारानीतनीरेण 116 शब्द० 41 125 द्वात्रिंशद् 77 . द्वात्रिंशिका 12, श्लो० 23 52 65 . महा० यवन० 264. मक्षिकाः क्षतमिच्छन्ति 1. श्राद्ध०वृत्तौ पृ० 351 /
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