________________ ( 106 ) जव प्राचार्य ने शिष्यको उक्त प्रकार के विनय से शिक्षित कर दिया तव शिष्य को योग्य है कि-वह प्राचार्य की विनय करे, अतएव अब सूत्रकार शिष्य के करने योग्य विनय विषय कहते हैं। तस्सेवं गुणजाइयस्स अंतेवासिस्स इमा चउविहा विणय पडिवत्ती भवइ तंजहा-उवगरण उपायणया 1 साहिल्लया 2 बणसंजलणया 3 भारपच्चोरूहणया 4 // अर्थ-उस गुणवान् शिष्य की यह वक्ष्यमाण चार प्रकार से विनय प्रतिपत्ति प्रतिपादन की गई है जैसेकि-साधुओं के पहिरने योग्य उपकरण को उत्पादन करना 1 अन्य का सहायक बनना 2 गुणवान् के गुणका प्रकाश करना 3 गच्छ के भार को वहन करना अर्थात् भावभार को धारण करना / यद्यपि गच्छ का स्वामी आचार्य होता है तथापि शिष्य उस भार के बहने में सहायक बन जाता है। साराश-जिस प्रकार विनयादि के सिखलाए जाने पर गुरु ऋणमुक्त हो जाता है उसी प्रकार शिष्य भी विधिपूर्वक गुरु की विनय करने से ऋणमुक्त होने की चेष्टा करता है क्योंकि-विनय ही मूलधर्म है / सूत्रकार ने विनय के चार भेद प्रतिपादन किए हैं जैसेकि गच्छ के लिए उपकरण उत्पादन करना 1 सहायता करना 2 वर्णसंज्वलनता 3 और भारप्रत्यवतारणता 4 / ___ अब सूत्रकार उपकरण उत्पादनता विनय विषय कहते हैं। सेकिंतं उवगरण उप्पायणया ? उवगरण उप्पायणया चउचिहा पएणत्ता तंजहा-अणुप्पणाई उवगरणाई उप्पाइत्ता भवइ 1 पोराणाई उवगरणाई सारखित्ता भवइ 2 संगोवित्ताभवइ परित्तं जाणित्तापञ्चद्धरिता भवइ 3 आहाविधं संविभइत्ताभवइ 4 सेतं उवगरण उप्पायणया // 1 // अर्थ-(प्रश्न ) उपकरण उत्पादनताविनय किसे कहते हैं ! (उत्तर ) हे शिष्य ! उपकरण उत्पादनता विनय के चार भेद हैं जैसेकि-अनुत्पन्न उप करण को उत्पादन करना 1 पुराणे उपकरण को संरक्षित रखना२जीर्ण उपकरण को संगुप्त रखते हुए भी यदि किसी अन्य साधु का उपकरण अल्प रह गया हो तो अपना उपकरण उसको देदेना 3 फिर यथायोग्य बड़ों और छोटोंके लिये वस्त्रादि का संविभाग करना 4 यही उपकरणउत्पादनता विनय है।। साराश-शिष्य ने प्रश्न किया कि-हे भगवन् ! उपकरणउत्पानता विनय किसे कहते हैं और उस के कितने भेद हैं ? इस प्रश्न के उत्तर में गुरु कहते हैं कि-हे शिष्य ! उपकरण उत्पादन विनय का अर्थ विधिपूर्वक