________________ ( 236 ) स्तिकाय के भी यही उक्त चारों पर्याय हैं और यही चारों पर्याय आकाशा- . स्तिकाय के हैं, किन्तु कालद्रव्य के चार भेद निम्न प्रकार से हैं, यथा-अतीत काल-१, अनागत काल 2, वर्तमान काल ,अगुरुलघु ४ापुद्गल द्व्य के चार पर्याय ये हैं वर्ण 1, गंध 2, रस 3, स्पर्श अगुरुलघु सहित 4 / जीवद्रव्य के भी चारों पर्याय हैं-जैसेकि अव्यावाध 1, अनवगाह 2, अमूर्तिक 3, अगुरुलघु४। - पट् द्रव्यों के पर्याय कहे जाने के अनन्तर अव छः द्रव्यों के गुण और पर्याय सधर्मता से कहे जाते हैं / जैसेकि-श्रगुरुलघु पर्याय सर्व द्रव्यों में सामान्य है, परन्तु अरूपी गुण पुद्गल द्रव्य को छोड़ कर पांच द्रव्यों में रहता है। इसी प्रकार अचेतनभाव पांच द्रव्यों में है, किन्तु जीवद्रव्य में चेतनभाव है / सक्रियभाव जीव और पुद्गल द्रव्य में है, अन्य चार द्रव्यों में नहीं है / चलनगुणस्वभाव धर्मास्तिकाय में है, शेष पांच द्रव्यों में नहीं है। स्थिरभाव अधर्मास्तिकाय में तो है परन्तु शेष पांच द्रव्यों में नहीं है / अवगाहन गुण अकाश द्रव्य में है, शेष पांचो में नहीं / वर्तनालक्षण कालद्रव्य में है अन्य द्रव्यों में नहीं है / मिलना और विछुड़ना गुण पुद्गल द्रव्य में नहीं है, शेष द्रव्यों में है / ज्ञानचेतनागुण जीव द्रव्य में तो है, परन्तु शेष द्रव्यों में नहीं। मूल गुण किसी भी द्रव्य का परस्पर नहीं मिलता है। किन्तु-धर्म,अर्धम और आकाश इन तीनों द्रव्यों के तीन 2 गुण और चार पर्याय समान हैं तथा तीनों गुणों से कालद्रव्य भी समान प्रतिपादन किया गया है। __अव छः द्रव्यों के गुण जानने के लिये एक गाथा द्वारा 12 भंगी कहते है। परिणाम 1, जीव 2, मुत्ता ३,सपएसा 4, एक 5, खित्त 6, किरियाए 7, निच्चं 8, कारण 6, कत्ता 10, सव्वंगदई 11, यर अपवेसा 12 / इस गाथा का भावार्थ इस प्रकार है-जैसे कि छः ही द्रव्य निश्चय नय के मत से परिणामी हैं, किन्तु व्यवहार नय के मत से जीव और पुद्गल दोनों द्रव्य परिणामी हैं, धर्म 1, अधर्म 2, आकाश और काल 4 ये चार द्रव्य अपरिणामी हैं। २छः ही द्रव्यों में एक द्रव्य जीव है, शेष पांच द्रव्य अजीव हैं। 3 छः ही द्रव्यों में एक पुद्गल द्रव्य रूपवान् है, शेप पांच द्रव्य अरूपी हैं। ४छ ही द्रव्यों में पांच द्रव्य सदेशी हैं, किन्तु एक कालद्रव्य अप्रदेशी है। 5 छः ही द्रव्यों में धर्म, अधर्म और अाकाश ये तीनों द्रव्य एक एक है। किन्तु जीव, पुद्गल और काल ये तीनों अनेक (अनंत) हैं। - ६'छः ही द्रव्यों में केवल एक आकाश द्रव्य क्षेत्री है, शेष पांच अक्षेत्री हैं।