________________ ( 233 ) उपण यह सव पुद्गलास्तिकाय के लक्षण जानने चाहिएं। . ___ साराँश इस का इतना ही है कि उक्त लक्षणों द्वारा पुद्गल द्रव्य की सिद्धि की जाती है। ___ यद्यपि कतिपय वादियों ने पुद्गल द्रव्य के लक्षणों को किसी अन्य द्रव्य के लक्षण वर्णन कर दिये हैं, परन्तु यथार्थ में वह लक्षण न होने से युक्ति को सहन नहीं कर सकते / जैसे कि-तमस् को कतिपय वादियों ने प्रभाव पदार्थ स्वीकार कर लिया है, किन्तु वह युक्तियुक्त कथन नहीं है / अतएव पुद्गलद्रव्य के ही उक्त लक्षण स्वीकार करने युक्तियुक्त है।। . यावन्मात्र पदार्थ दृष्टिगोचर होते हैं, वे सर्व पौगालिक हैं / क्योंकिअरूपी पदार्थों को तो छद्मस्थ आत्मा चक्षुओं द्वारा देख ही नहीं सकता। अतएव इन्द्रिय ग्राह्य पदार्थ रूपवान् है / रूपवान् ही होने से वे पौगलिक हैं। इस प्रकार पट् द्रव्यों के लक्षण वर्णन करने के अनन्तर अंव सूत्रकार पर्याय विपय कहते हैं। जैसेकि· एगत्तं च पुहत्तं च संखा संठाणमेव य / . संजोगाय विभागा य पज्जवाणं तु लक्षणं // उत्तराध्ययनसूत्र अ. 28 गा // 13 // वृत्ति-एतत्पर्यायाणां लक्षणं एतत् किम्-एकत्वं मिन्नेप्वपि परमारवादिपु यत् एकोऽयं इति वुद्धया घटोयं इति प्रतीतिहेतुः च पुनः पृथक्त्वं अयं अस्मात् पृथक् घटः पटाद् भिन्नः पटो घटाद्भिन्नः इति. प्रतीतिहेतुः, संख्या एको द्वौ बहव इत्यादि प्रतीतिहेतुः च पुनः संस्थानं एव वस्तूनां संस्थान प्राकारश्चतुरस्रवतुलतिनादि प्रतीतिहेतुः, च पुनः संयोगा अयं अंगुल्याः संयोग इत्यादि व्यु,पदेशहेतवो, विभागा अयं अतो विभक्त इति बुद्धिहेतवः, एतत् पर्यायाणां लक्षणं नेयं, संयोगा विभागा बहुवचनात् नवपुराणत्वाद्यवस्था शेयाः लक्षणत्वं साधारणरूपं गुणानां लक्षणं रूपादि प्रतीतत्वान्नोक्तम् // . भावार्थ-पहले कहा जा चुका है.कि-द्रव्य गुण और पर्याय युक्त होता है / अतः इस गाथा में पर्याय का लक्षण प्रतिपादन किया गया है / अनंत परमाणुओं का समूह जव एक घटादिपदार्थों के रूप में श्राजाता है तब व्यवहारबुद्धि से कहा जाता है कि यह एक घट है / यद्यपि वह घट अनंत परमाणुओं का समूह रूप है तथापि भिन्न 2 परमाणुओं के होने पर भी व्यवहारवद्धि में घट एक पदार्थ माना गया है। इसी प्रकार यह इस से पृथक् है अर्थात् यह घट से पट पृथक् है वा यह वस्तु अमुक वस्तु.से पृथक् है इस प्रकार की, जो प्रतीति है उसी का नाम पृथक्त्व है क्योंकि-पुद्गल द्रव्य एक होने पर भी यह इस पदार्थ से भिन्न पदार्थ है इस प्रकार की जो प्रतीति होती है यही पर्याय को लक्षण है।