________________ प्रकार के सुंदर रस उत्पन्न करने वाले भोज्य पदार्थ श्रावे तव प्रसन्न न होना चाहिए एवं यदि मन के प्रतिकूल भोज्य पदार्थ खाने को मिलें तव द्वेष न करना चाहिए। __ पदार्थों का जिस प्रकार का स्वभाव है वे उसी प्रकार अपना रस दिखलायेंगे। इसलिए उनके मिलने पर राग द्वेष क्यों किया जाय ? 5 स्पर्शेन्द्रियरागोपरति-यदि मनके अनुकूल स्पर्श उपलब्ध हो तब उन पर राग उत्पन्न न करना चाहिए एवं यदि मन के प्रतिकूल स्पर्श मिले तब द्वेष भी न करना चाहिए / इस कथन का सारांश इतना ही है कि-शय्या वस्त्रादि-मनोऽनुकूल मिल जाने पर प्रसन्नता एवं मार पीट वा अंगोपांग के छेदन करने वाले पर द्वेष यह दोनों भाव उत्पन्न न करने चाहिएं / जब श्रात्मा के अन्तःकरण से शब्द, रूप, गंध, रस और स्पर्श इन पांचों विषयों पर राग और द्वेषक भाव उत्पन्न न होंगे तव वह आत्मा दृढ़तापूर्वक उक्त पांचों महावतों का पालन कर सकेगा / श्रतएव पांचों महाव्रतों को 25 भावनाओं द्वारा शुद्ध पालन करना चाहिए। यदि ऐसे कहा जाय कि-पांच महाव्रतों की 25 भावनाएं तो कथन की गई हैं किन्तु छठा रात्रिभोजन विरमणवत का कहीं भी वर्णन नहीं है और ना ही उसकी भावनाओं का कथन आया है / इस प्रश्न का उत्तर यह है कि-प्रथम तो प्रायः रात्रि को अति शीनादि के पड़ने से बहुत से पदार्थों की सचित्त हो जाने की संभावना की जासकती है द्वितीय-तमस (अन्धकार) के सर्वत्र विस्तृत हो जाने से भली प्रकार जीव रक्षा भी नहीं हो सकती अतएव इस व्रत का प्रथम महाव्रत में ही समावेश हो जाता है अर्थात् जीवरक्षा सम्बन्धी यावन्मात्र कर्तव्य हैं वे सब पहले महाव्रत के ही अन्तर्गत होते है। तत्पश्चात् पांचों इन्द्रियों के जो शब्दादि विषय हैं मुनि उन पर राग और द्वेष से उत्पन्न होने वाले भावों का परित्याग करे जैसे कि श्रोतेन्द्रिय निग्रह-श्रोतेन्द्रिय के तीन विषय हैं यथा जीव शब्द 1 अजीव शब्द २और मिश्रित शब्द 3 / मुखसे निकला हुआ जीव शब्द कहा जाता है। पुद्गल के स्कन्धादि के संयोग या विभाग के समय जो शब्द उत्पन्न होता है उसे अजीव शब्द कहते हैं / जो दोनों के मिलने से शब्द उत्पन्न होता है उसे मिश्रित शब्द कहते हैं जैसे शंखादि का बजना / 7 चक्षुरिन्द्रिय निग्रह-चक्षुरिन्द्रिय के पांच विषय हैं जैसोकि-श्वेतवर्ण 1 रक्तवर्ण 2 पीतवर्ण 3 नीलवर्ण 4 और कृष्णवर्ण 5 इन पांचों ही विषयों में जो प्रिय हैं उनपर राग न करना चाहिए और जो अप्रिय हैं उनपर द्वेष न करना चाहिए।