________________
२-द्रव्य गुण पर्याय
३४ २/१-सामान्य अधिकार (ख) जो किया जाय और तोड़ा भी जा सके, जिसमें पदार्थ पृथक-२
भी रहते हों, पर समूह से पृथक दूसरा कोई स्वतंत्र पदार्थ न हो जिसमें कि वह समूह रहे, जैसा सेना या लकड़ी का गट्ठा
(संयोग) (ग) जो किया जाय और तोड़ा भी जाय, परन्तु न तो उसमें पदार्थ
पृथक-२ रह सकें और समूह से पृथक दूसरा कोई स्वतंत्र पदार्थ
हो, जिसमें कि वह समूह रहे, जैसे--पावक (संश्लेष) (घ) जो किया तो न जाये पर तोड़ा जा सके, जिसमें पदार्थ पृथक
रहे पर समूह से पृथक अन्य कोई स्वतंत्र पदार्थ न हो, जिसमें
कि वह समूह रहे, जैसे-वृक्ष (अयुतसिद्ध) (ङ) जो न किया गया हो और न तोड़ा जा सके, न ही उसमें पदार्थ
पृथक-पृथक रहते हैं । और न ही समूह से पृथक कोई स्वतंत्र
पदार्थ हो जिसमें कि वह समूह रहे, जैसे अग्नि (तादात्म्य) १३. द्रव्य के लक्षण में कौन समूह इष्ट है ?
पाँचवां अर्थात अग्नि वाला, क्योंकि गुणों का समूह न किया जाता है, न तोड़ा जा सकता है, न गुण पृथक-२ रहते हैं, न ही उनके समूह से पृथक कोई अन्य स्वतंत्र द्रव्य नाम की चीज है
जिसमें कि गुणों का समूह रहे। १४. दूसरे प्रकार से द्रव्य का लक्षण करो।
गुण पर्याय के समूह को द्रव्य कहते हैं। १५. गुण किसे कहते हैं ?
जो द्रव्य में सर्वदा रहे उसे गुण कहते हैं, जैसे स्वर्ण में पीला
पन । (विशेष परिचय आगे पृथक विभाग में दिया जायेगा) १६. पर्याय किसे कहते हैं ?
जो द्रव्य में सर्वदा न रहे बल्कि क्षण भर के लिये या सीमित काल के लिये रहे, अथवा द्रव्य की परिवर्तनशील अवस्थाओं को पर्याय कहते हैं, जैसे स्वर्ण में कड़ा कुण्डल आदि । (विशेष देखें आगे पृथक विभाग) .