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२-द्रव्य गुण पर्याय
२/१-सामान्य अधिकार कदाचित एकार्थ माने जाते हैं परन्तु विशेष देखने पर स्वभाव गुण की पर्यायों द्वारा परिचय में आता है जैसे ज्ञान का ज्ञानत्व, और धर्म केवल अपेक्षाकृत है जैसे द्रव्य में नित्यत्व । पर्याय सदा रहती है जैसे रस में खट्टी या मीठी कुछ न कुछ पर्याय अवश्य रहती है, परन्तु व्यक्ति कदाचित होती है और कद चित नहीं, जैसे जीव में गमन क्रिया की व्यक्ति कदाचित होती है
कदाचित नहीं। ८०. पर्याय किसकी होती है और व्यक्ति किसकी?
पर्याय गुण की होती है और व्यक्ति शक्ति की। ८१. द्रव्य में गुण कितने प्रकार के होते हैं ?
मुख्यता से दो प्रकार के सामान्य गुण व विशेष गुण (इनका
विस्तार आगे किया जायेगा । दे. अधिकार नं० ३) ८२ द्रव्य में स्वभाव कितने हैं ?
चार हैं-चेतनत्व, अचेतनत्व, मूर्तत्व ,अमूर्तत्व । इनके अतिरिक्त जड़ व चेतन पदार्थों के सर्व विशेष गुण उन उनके स्वभाव
कहे जा सकते हैं, जैसे रसत्व, ज्ञानत्व आदि । ८३. द्रव्य में धर्म कितने हैं ?
आठ हैं-अस्तित्व, नास्तित्व, नित्यत्व, अनित्यत्व, एकत्व,
अनेकत्व, भेदत्व, अभेदत्व। ८४. आठों धर्मों के लक्षण करो। (क) अपने द्रव्यादि स्व-चतुष्टय को अपेक्षा द्रव्य का सद्भाव उसका
'अस्तित्व' धर्म है और पर-चतुष्टय की अपेक्षा उसका अभाव
'नास्तित्व' धर्म। (ख) द्रव्य व गुण की अपेक्षा द्रव्य में 'नित्यत्व' है और पर्याय की
अपेक्षा 'अनित्यत्व' क्योंकि द्रव्य व गुण त्रिकाल स्थायी हैं और
पर्याय क्षणध्वंसी। (ग) अपनी सम्पूर्ण पर्यायों में अनुस्यूत रहने की अपेक्षा 'एकत्व' है
और विभिन्न पर्यायों में अन्य-अन्य दिखने की अपेक्षा 'अनेकत्व'।