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२-द्रव्य गुण पर्याय
३-गुणाधिकार सर्व गुण सुरक्षित रहें; उनमें से एक भी न घटे न बढ़े न बदले । गुण घटने से वह लघु हो जायेगा, बढ़ने से गुरु बन जायेगा और बदलने से वह द्रव्य ही बदलकर अन्य रूप हो
जायेगा। ६८. अगुरुलघु के तीनों लक्षण का समन्वय करो। (क) द्रव्य परिणमन अवश्य करता है पर अन्य द्रव्य रूप से
नहीं, जैसे कि जीव अजीव रूप नहीं हो सकता, अथवा अन्य जीव रूप भी नहीं हो सकता । यदि ऐसा होने लगे सभी द्रव्य धीरे धीरे अन्यरूप होकर अपनी सत्ता खो
बैठे और विश्व द्रव्य-शून्य हो जाये, जो असम्भव है । (ख) द्रव्य गुणों का समूह तभी रह सकता है जब कि वे भी
द्रव्य की भांति एक दूसरे रूप न परिणम; यथा रूप गुण रस गुण न बन जाये । यदि ऐसा होने लगे तो सभी गुण धीरे धीरे अन्य रूप होकर अपनी सत्ता खो बैठ
और द्रव्य गुण-शून्य हो जाये, जो असम्भव है । (ग) इसी प्रकार द्रव्य गुणों का समूह तभी रह सकता है जब
कि उसके गुण उसे छोड़कर बाहर न निकल सकें । यदि ऐसा होने लगे तो सब गुण धीरे धीरे उसका त्याग कर देंगे और वह गुण-शून्य हो जायेगा, जो असम्भव है। अथवा लघु हो जायेगा और वे गुण उसे छोड़कर जिस दूसरे द्रव्य का आश्रय लेंगे वह गुरु हो जायेगा । गुणों
का निराश्रय रहना सम्भव नहीं । ६६. दूध पानी मिलकर एकमेक हो गए ?
नहीं, दोनों अपने अपने स्वरूप में स्थित हैं। दूध जलरूप या जल दूधरूप नहीं हो गया है । केवल संश्लेष बन्ध के कारण एक दीखते हैं। अगुरुलघु गुण के कारण दोनों की सत्ता
पृथक २ है। ७०. प्रत्येक द्रव्य को स्वतंत्रता की मर्यादा काहे से है ?
अगुरुलघुत्व गुण से है, क्योंकि उसी के कारण उसकी सत्ता