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२-द्रव्य गुण पर्याय
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५-पर्यायाधिकार जैसे मुक्तात्मा के ज्ञान गुण की केवल ज्ञान पर्याय तथा परमाणु
के इस गुण को तद्योग्य सूक्ष्म पर्याय । २३. विभाव गुण पर्याय किसे कहते हैं ?
अशुद्ध द्रव्यों के गुणों की पर्याय को विभाव गुण पर्याय कहते हैं; जैसे संसारी आत्मा के ज्ञान गुण की मति ज्ञान पर्याय और स्कन्ध के रस गुण की मीठी पर्याय ।
(३. अर्थ व व्यंजन पर्याय ) (२४) पर्याय किसे कहते हैं ?
गण के विकार को पर्याय कहते हैं। २५. विकार अर्थात क्या ?
यहां विकार का अर्थ विकृत भाव ग्रहण न करना । इसका अर्थ है विशेष कार्य अर्थात गुण की परिणति से प्राप्त अवस्था
विशेष । (२६) पर्याय के कितने भेद हैं ?
दो हैं--व्यञ्जन पर्याय और अर्थ पर्याय (या द्रव्य पर्याय व गुण
पर्याय) (२७) व्यञ्जन पर्याय किसे कहते हैं ?
प्रदेशत्व गुण के विकार को व्यञ्जन पर्याय कहते हैं। २८. प्रवेशत्व गुण के विकार से क्या समझे ?
द्रव्य का आकार ही प्रदेशत्व गुण का विकार या विशेष कार्य
है; जैसे मनुष्य पर्याय का दो हाथ पैर वाला आकार । २६. द्रव्य पर्याय व व्यञ्जन पर्याय में क्या अन्तर है ?
दोनों एकार्थ वाची हैं, क्योंकि दोनों का सम्बन्ध प्रदेशत्व गुण
(३०) व्यञ्जन पर्याय के कितने भेद हैं?
दो हैं--स्वभाव व्यञ्जन पर्याय और बिभाव व्यञ्जन पर्याय । (३१) स्वभाव व्यञ्जन पर्याय किसे कहते हैं ?
बिना दूसरे निमित्त से जो व्यञ्जन पर्याय हो उसे स्वभाव