Book Title: Jain Siddhanta Sutra
Author(s): Kaushal
Publisher: Deshbhushanji Maharaj Trust

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Page 353
________________ ८-नय प्रमाण ३३० ३--नय अधिकार उसकी शुद्धता अशुद्धता का परिचय देना मात्र इष्ट हो, वह आगम पद्धति है। इसमें हेयोपादेय का विवेक नहीं कराया जाता। ७- आगम पद्धति से नय के कितने भेद हैं ? तीन हैं-ज्ञान नय, अर्थ नय और व्यञ्जन नय । ८. तीन नय मानने की क्या आवश्यकता ? क्योंकि पदार्थ तीन प्रकार के हैं-ज्ञानात्मक, अर्थात्मक व व्यञ्जनात्मक । इसलिये उन उनको विषय करने वाली नय भी तीन होनी चाहिये। 8- ज्ञानात्मक पदार्थ से क्या तात्पर्य ? ज्ञान में वस्तु का जो प्रतिभास पड़ता है वह ज्ञानात्मक पदार्थ है। जैसे--ज्ञान में गाय का आकार । १०- अर्थात्मक पदार्थ से क्या तात्पर्य ? जिसमें अर्थ क्रिया की प्राप्ति हो उसे अर्थात्मक पदार्थ कहते हैं, जैसे दूध देने वाली असली गाय । ११- व्यञ्जनात्मक पदार्थ से क्या तात्पर्य ? वस्तु के वाचक शब्द को व्यञ्जनात्मक पदार्थ कहते हैं, जैसे ब्लैक बोर्ड पर लिखा गया 'गाय' ऐसा शब्द । १२. ज्ञानात्मक पदार्थ कितने प्रकार का होता है ? दो प्रकार का-सत् व असत् । १३. सत् पदार्थ किसे कहते हैं ? वर्तमान में विद्यमान पदार्थ को सत् कहते हैं, जैसे दृष्ट मनुष्य पशु आदि। १४. असत् पदार्थ किसे कहते हैं ? जो पदार्थ वर्तमान में विद्यमान नहीं है । या तो पहले था अब विनष्ट हो गया है, अथवा आगामी काल में उत्पन्न होगा, अभी उत्पन्न नहीं हुआ है । ऐसा पदार्थ असत् कहलाता है।

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