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२-द्रव्य गुण पर्याय १०५
३-गुणाधिकार ११२. ऐसे विशेष गुण बताओ जो दो जाति के द्रव्यों में हों।
विशेष गुण अपनी जाति के द्रव्यों में ही रहता है, इसलिये दो
जाति के द्रव्यों में एक विशप गुण नहीं पाया जा सकता। नोट:- (जीव के गुणों के लिये आगे देखो पृथक अधिकार)
(6. अनुजीवी प्रतिजीवी गुण) (११३) अनुजीवी गुण किसे कहते हैं ?
भाव स्वरूप गुणों को अनुजीवी गण कहते हैं, जैसे जीव में सम्यक्त्व, चारित्र, मुख, चेतना और पद्गल में स्पर्श रस गन्ध
वर्ण आदि। (११४) प्रतिजीवी गुण किसे कहते हैं ?
वस्तु के अभावस्वरूप धर्म को प्रतिजीवी गुग कहते हैं जैसे
नास्तित्व, अमुर्तत्व, अचेतनत्व वगैरह । ११५. भाव स्वरूप व अभाव स्वरूप से क्या समझे ?
जिन गणों की प्रतीति व व्याख्या स्वतन्त्र रूप से हो सके है वे भाव स्वरूप गण हैं जैसे ज्ञान, रस आदि । जिन धर्मों की प्रतीति व व्याख्या स्वतन्त्र रूप से न हो सके बल्कि अन्य गणों का प्रतिषेध करके ही जिनका परिचय दिया जाना सम्भव हो वे अभावस्वरूप धर्म हैं, जैसे वस्तु में परचतुष्टय का अभाव ही उसका नास्तित्व धर्म तथा रूप रसादि का अभाव ही अमूर्तित्व धर्म है। वास्तव प्रतिजीवी नाम से कहे जाने वाले ये सब गुण नहीं 'धर्म हैं, क्योंकि अपेक्षा वश जाने जाते हैं, स्वतन्त्र
सत्ता वाले नहीं हैं । अनुजीवी गुण भी हैं और धर्म भी। ११६. अनुजीवी या प्रतिजीवी गुण सामान्य हैं या विशेष ?
दोनों ही दोनों प्रकार के हैं - ज्ञान रस आदि विशेष अनुजीवी ग्ण हैं और चेतनत्व मूर्तत्व आदि सामान्य । सूक्ष्मत्व अगुरुलघुत्व आदि छहों द्रव्यों में पाये जाने से सामान्य प्रतिजीवी गुण हैं। अचेतनत्व अमूर्तत्व आदि विशेष भी हैं और सामान्य भी। यहां द्रव्यों में न पाये जाने से विशेष हैं और पांच-पांच में पाये जाने से सामान्य ।