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४- जीव गुणाधिकार
सहित विशेष वस्तु के ज्ञान को अवग्रह कहते हैं । जैसे यह मनुष्य है ( अथवा यह सफेद सफेद सा कुछ है तो सही ) इत्यादि । (नोट: - दर्शन का कथन आगे किया जायेगा) (४५) ईहा ज्ञान किसको कहते हैं ?
२- द्रव्य गुण
पर्याय
अवग्रह से ज हुए पदार्थ के विषय में उत्पन्न हुए संशय को दूर करते हुए अभिलाष स्वरूप ज्ञान को ईहाज्ञान कहते हैं । जैसे - ठाकुरदास प्रतीत होते हैं । ( अथवा यह ध्वजा मा क पंक्ति सरीखी प्रतीत होती है) । यह ज्ञान इतया कमजोर होता है कि किसी पदार्थ की ईहा होकर छूट जाये तो कालान्तर में संशय या विस्मरण हो जाता है ।
(४६) अवाय किसे कहते हैं ?
हा से जाने हुए पदार्थ को यह वही है अन्य नहीं, ऐसे मजबूत ज्ञान को अवाय कहते हैं; जैसे - यह ठाकुरदास्त्र ही हैं अन्य नहीं हैं । ( अथवा यह ध्वजा ही है बक पंक्ति नहीं ) । अवाय से जाने हुए पदार्थ में संशय तो नहीं होता, परन्तु विस्मरण हो जाता है ।
(४७) धारणा किसे कहते हैं ?
जिस ज्ञान से जाने हुए पदार्थ में कालान्तर में संशय तथा विस्मरण नहीं होचे, उसे धारणा कहते हैं ?
४८. प्रति ज्ञान के इन चारों भावों का स्पष्ट रूप व क्रम दर्शाओ ? (क) इन्द्रिय और पदार्थ का संयोग होते ही दर्शनोपयोग के अनन्तर प्रथम क्षण में पदार्थ का धुंधला सा सामान्य रूप ग्रहण होता है, जिसे अवग्रह कहते हैं । "यह कुछ है तो सही' ऐसा प्रतिभास ही उसका रूप है ?
(ख) तदनन्तर द्वितीय क्षण में ईहा होता है, अर्थात उस पदार्थ की ओर उपयोग को कुछ केन्द्रित करके निर्णय करने का प्रयत्न होता है ।
(ग) तदनन्तर तृतीय क्षण में अवाय होता है अर्थात उस विषय का निश्चित ज्ञान हो जाता है ।