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२- द्रव्य गुण पर्याय
६८. परिणमन रूप पर्याय किसे कहते हैं ?
गुणों में होने वाले क्षणिक परिवर्तन को परिणमन कहते हैं, जैसे - रूप गुण में लाल पीला आदि ।
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६६. परिस्पन्द रूप पर्याय किसे कहते हैं ?
द्रव्य के प्रदेशों का अपने स्थान से च्युत होकर कम्पन करना या हिलना डुलना परिस्पन्दन है |
७०. परिणमन व परिस्पन्दन में क्या अन्तर है ?
२ / १ - सामान्य अधिकार
परिणमन गुण में होता है और परिस्पन्दन द्रव्य के प्रदेशों में । परिणमन में हिलन डुलन क्रिया नहीं होती केवल गुण की शक्ति में हानि वृद्धि होती है; परिस्पन्दन में हिलन डुलन होती है हानि वृद्धि नहीं । परिणमन से गुणों में परिवर्तन होता है और परिस्पन्दन से द्रव्य के आकार में। (विशेष देखो आगे अधिकार नं ० ४ )
( ५. धर्म)
७१. द्रव्य में कितने प्रकार की विशेषतायें पाई जाती हैं ?
छः प्रकार की — गुण, स्वभाव, शक्ति, पर्याय, व्यक्ति व धर्म |
७२. गुण किसको कहते हैं ?
द्रव्य के विशेष में नित्य विकार या परिवर्तन होता रहे, अर्थात जिसमें सदा कोई न कोई पर्याय उत्पन्न व नष्ट होती रहे उसे गुण कहते हैं, जैसे जीव में ज्ञान ।
७३. स्वभाव किसे कहते हैं ?
(क) जिस विशेष में कोई पर्याय प्रगट न होती है, अर्थात जो सदा वैसा का वैसा जानने में आता है उसे स्व-भाव कहते हैं; जैसे जीव में जीवत्व या चेतनत्व ।
(ख) 'त्व' प्रत्यय लगाने से प्रत्येक गुण उसका स्व-भाव बन जाता है । गुण की प्रत्येक पर्याय में गुणत्व वह का वह रहता है; जैसे खट्ट े में भी वही रसत्व और मीठे में भी वही रसत्व |
७४. शक्ति किसको कहते हैं ?
द्रव्य के वे विशेष शक्ति कहलाते हैं जिनकी अपनी कोई स्वतंत्र व्यक्ति या पर्याय नहीं होती, बल्कि अन्य गुणों की सामर्थ्य