Book Title: Jain Siddhanta Bol Sangraha Part 08
Author(s): Bhairodan Sethiya
Publisher: Jain Parmarthik Sanstha Bikaner

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Page 274
________________ २२६ श्री सेठिया जैन ग्रन्थमाला विषय बोल भाग पृष्ठ प्रमाण प्रत्यक्ष ज्ञान १२ १ ११ ठा २उ १सू ७१,नं १ २ प्रत्यक्ष निराकृत वस्तु दोप ७३३ ३ ४११ ठा १०उ.३सू ७४३ टी प्रत्यक्ष निराकृत साध्यधर्म ५४६ २ २६१ रत्मा परि.६ सृ ४१ विशेपण पक्षाभास प्रत्यक्ष प्रमाण २०२ १ १६.भ श ५उ ४सू १६३,मनु म १४६ प्रत्यक्ष व्यवसाय ८५ १ ६२ ठा ३उ ३८ १८५ प्रत्यनीक के छःमकार ४४५ २ ४६ भ.ग ८ उ.८ सु३१६ प्रत्यभिज्ञान ३७६ १ ३६५ रत्ना परि ३ सू.५ प्रत्याख्यान आवश्यक ४७६ २३ भाव है भ६ प्रत्याख्यान के दो भेद ५४ १ ३१ भश ७ उ २ स २७१ प्रत्याख्यान दस ७०४ ३ ३७५ ठा १० सू.७४८.म.श.उ' प्रत्याख्यानपॉच प्रकारका ३२८ १३३६ ठा .४६६,याव इ.१८४७ प्रत्याख्यान पालने के छः ४८२ २६६ प्राव हम पनि गा १५६३१ ८७१,ध मधि.श्लो.६३.१६२ मत्याख्यान विशद्धि के छः ४८१ २ ६५ ठा ५३.३१ ४६६ टी ,प्राव ह. प्रकार भनि 1.1५८६१८४६ प्रत्याख्यानावरण कपाय १५८ १११६ पाप.१४.१८८ठा दर १स २४६,कर्म भा गा१७१८ प्रत्याहार(योगकाएकग्रंग)६०१ ३ ११८ यो०रा०यो। प्रत्याहार प्राणायाम ५५४ २ ३०३ यो.प्रका ग्लो. प्रत्युत्पन्न दोप ७२३ ३ ४१२ टा.१०3 3 सू ७४३ प्रत्युपकारतीनकादुःशक्य है १२४ १ ८७ टा.३उ १ सू १३१ प्रत्युपेक्षणाप्रमाद ४५६ २६० ट.३.३ र ४०२ प्रत्येक बुद्ध सिद्ध ८४६ ५ ११८ पन्न प.१ ८.५ प्रत्येकमिश्रिता सत्यामृगा६६४३ ३७१ टा.१. मु.५४१, पान १.११, धमधि श्लो.४१टी.पृ.१२२ अङ्ग

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