Book Title: Jain Siddhanta Bol Sangraha Part 08
Author(s): Bhairodan Sethiya
Publisher: Jain Parmarthik Sanstha Bikaner

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Page 372
________________ १२४ श्री सेठिया जैन अन्यमाला विषय वोल भाग पृष्ठ प्रमाण माध को कल्पनीयग्रामादि८६७ ५ १६६ वृउ.१सू.६ सोलह स्थान साधु कोकोनसावादकिसह१८६ १५७ प्रष्ट १२,उत्त (क)प्र.१६ (कथा) के साथ करना चाहिये ? साधु ग्लान की सेवाकरने ७६७४ २६७ प्रवद्वा.७१ गा ६ २६-६३५, वालबारह और अड़तालीस नवपद. सलेसनाद्वार गा.१०६ साधु द्वारा आहार करने ४८४ २ १८ उत्त भ२६.गा.३२-३३,पिं नि के छ कारण गा.६६२ साधु द्वारा प्राहार त्याग ४८५ २ १८ उत्त. अ.२६ गा.३४, पि. नि. करने के छःकारण गा६६६ साधुद्वारा साध्वी कोग्रहणा३४० १ ३५१ ठा ५उ.२ १ ४३७ करने या सहारा देने के बोल साध मंगलकारी लोको. १२६ १६४ भाव हम ४ पृ.५६ ६ त्तम और शरण रूप है माधुयोग्य १४प्रकारकादान-३२ ५ २६ शिक्षा.,भावह प.६ पृ८४६ साधुवचन आगार ४८३ २१८ भाव.३ म.६१८५२,प्रव.द्वा.४ साधु साध्वी के एक जगह ३३६ १ ३४६ ठा.५ उ.२ सू ४१७ स्थानशय्यानिषद्या केकारण साधु साध्वी के साथ चार १८३ १ १३७ टा ८३.२ सू २६. कारणों से थालाप संलाप करना हुश्रा निर्ग्रन्याचार का भतिक्रमण नहीं करता साध्य ४२ १ २७ रला परि ३स १४ सानक वस्त्र ३७४ १ ३८६ ठाउ.३ सू४४ ६

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