Book Title: Jain Siddhanta Bol Sangraha Part 08
Author(s): Bhairodan Sethiya
Publisher: Jain Parmarthik Sanstha Bikaner

View full book text
Previous | Next

Page 386
________________ श्री सेठिया जैन प्राथमाला विषय वोल भाग पृष्ठ प्रमाण स्थावरजीवोंकीअवगाहना ६६५ ७ २५२ भश १६उ ३ सू.६५१ के अन्प बहुत्ल के४४ चोल स्थिति पाठ कर्मों की ५६० ३ ५६- पनप २३ सू २६४, तत्त्वार्थ ८२ मध्या ८, उत्त अ ३३ स्थिति की व्याख्याऔरभेद३१ १ २१ ठा २उ ३ सू ८५ स्थिति घात ८४७ ५ ७८ कर्म भा २गा.२ स्थिति नाम निधत्तायु ४७३ २ ७६ भश ६उसू २५०,ठा.६सू ४३ स्थिति नारकी जीवों की ५६० २३१६ जी प्रति. सू ६० टी ,प्रवद्ध १७५ गा.१०७५-१०७६ स्थिति प्रतिघात ४१६ १ ४४० ठा १३ १ सू ४०६ स्थिति बन्ध २४७ १ २३२ ठा.४सू २६६,कर्म भा १गा : स्थिरीकरण दर्शनाचार ५६६ ३ ८ पनप १सू ३७गा १२८,उत्त म २६गा ३१ स्थूल अदत्तादानका त्याग ३०० १ २८६ | श्राव ह य ६१८१७-८२६ स्थलअसत्य(मृघा)कात्याग३०० १ २८८ { ठा ५३ १सू ३८६, उपा अ स्थलमाणातिपातकात्याग ३०० १ २८८ । सू६,ध अधि २लो २०१६ स्थूलभद्र की पारिणामिकीह१५ ६ ६५ प्राव ह गा.६५०, पू २७गा " चुद्धि की कथा स्नातक ३६६ १ ३८२ ठाउ ३स, ४४५,भग.२ स्नानक के पाँच भेद ३७१ १ ३८६ | उ ६ मू.७५१. स्पशे आठ ५९७३ १०८ या ८उ ३.५६६, पन्न प २ स्पर्श नारकी जीवों का ५६० २ ३३६ जी प्रति ३ सृ.८७ स्पर्शनेन्द्रिय ३९२१ ४१६ पन प.१४उ.११ १६ १,ठा, ३.३ १४३, जै प्र. SHMA

Loading...

Page Navigation
1 ... 384 385 386 387 388 389 390 391 392 393 394 395 396 397 398 399 400 401 402 403