Book Title: Jain Siddhanta Bol Sangraha Part 08
Author(s): Bhairodan Sethiya
Publisher: Jain Parmarthik Sanstha Bikaner

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Page 390
________________ श्री सेठिया जैन मन्यमाला विषय बोल भाग पृष्ठ प्रमाण स्वयंवुद्ध सिद्धारप्रत्येक 840 5 118 पन.प.१सू-७टी. बुद्ध सिद्ध का अन्तर * स्वर सात 540 2 270 } स्वरा का फल 5403 2172 / अनु सू १२५,गा 25-46. टाउ.३सू.५५३ स्वरों के उत्पत्ति स्थान 540 2 271 / स्वर्ग के तीन ग्राम 540 2 273 / अनु.स. 127 गा.२६.४२, स्वरोंके तीनग्रामकीमुर्छना५४० 2 273 ठाउ ३सू ५४३,संगीत. स्वलिग सिद्ध 846 5 116 पन प.१.सू.५ स्वरचननिराकृतवस्तुदोप७२३ 3 411 ठा १०उ ३सू७४३ टी. स्व वचन निराकृत साध्य-५४६ 2 261 रत्ना.परि दस.४५ धर्म विशेषण पक्षाभास स्वाध्याय 478 2 6 व .२०,उत्त.य.३०गा.३०, श्व द्वा.६गा २७१,टा इस१११ स्वाध्याय का दृष्टान्त काल 780 4 210 भाव ह.नि.गा १३३,३.पीटिका अननुयोग पर नि गा.११ स्वाध्याय की व्याख्या,भेद३८१ 1 398 या ५उ ३स.१६५ स्वाध्याय के पॉच भेद 633 3 115 उब सू 20, 22 मः स्वापनी अवस्था 678 3 268 ठा.१० 3.1.772 स्वाभाविक गण 551 33 द्रव्य त सध्या.१२ग्लो 8 स्वार्थानुमान 376 1 366 रत्ना.परि.३ सू.१० स्वास्तिकी (साहथिया) 264 1 276 टा.२ 3 १सू 60, ठा 53.2 क्रिया सु४५६ स्वद संत पवावा Y 43 भाव इ.भ.६ नि गा.१५७८, प्रयद्वा ४गा.१०. / मुनामों के सम्बन्ध में पृष्ठ 261 पर टिप्पणी देखो।

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