Book Title: Jain Siddhanta Bol Sangraha Part 08
Author(s): Bhairodan Sethiya
Publisher: Jain Parmarthik Sanstha Bikaner

View full book text
Previous | Next

Page 375
________________ " श्री जैन सिद्धान्त बोल संग्रह, पाठवा भाग विषय ८२८२ १ २६१ सास्वादान समकित सास्वादानसम्यग्दृष्टिगुण ०८४७५ ७३ साहरिय दोष (आहार का ६६३ ३ २४३ दोष) २ い THEH बोल भाग पृष्ठ सिद्ध सिद्ध सिद्ध भगवान् के आटगुण५६७ ३ ७ख १ ४ w ' ' २७४ १ २५२ ४. सिंद्र भगवान् के इकतीस ६६१७२ गुण दो प्रकार से प्रमाण कर्म भा १गा ०१२ : १ कर्मभामा २ व्याख्या, प्रवद्वा ६७गा ५६८१.१४८, पिति ग्रा. ५२९, पचा १३गा. २६, धि ग्लो. २२ टी पृ ४१ ठा.२उ ४सू १०१,तत्त्वार्थ मध्या २ 1 भ मंगलाचरण , १७० सिद्ध मंगलकारी लोको - १२६क १६४ घाव ४१५६६ त्तम और शरण' रूप है 1 अनु सू १२६१ ११५, श्र्व द्वा. २७६गा: १५६३-६४/सम. ३१ उत्त म.३१गा. ३०टी, प्रव वा. { ३२७ 1 २७६ मा १५६३-१५६४, 'सम ३१, आचा भ. ५ ६ सु श्रावे. ४१, ६६ र " सिद्ध शिला और अलीक' ६१८ ६२ १३५ भ श १४ उ ८. १२७ टी. के बीच कितना अन्तर है ? f छ सिद्धों का अल्प वहुत्व ६४६ ५ १२१ सिद्धों के अल्पबहुत्व के ३३ बोल६७६ ७६६ ८४६ ५ ११७ पन प १सू ७ सिद्धों के पन्द्रह भेद सीता सती 1 "" I ८७५, ५ ३२१ त्रिषपर्व७ संसृमा, चिलावी पुत्रकी कथा ६०० ५ ४७० ज्ञा १८ सुकाली रानी Y ६८६ ३ ३३८ ८ अ.२ सिद्ध शिला के आठ नाम ६० ३ १२६ पत्र प २५४ ठाउ सू. ६४८, उत्त थ, ३६ग्रा ५६ " I पन्न १ १-७ नंसू २० टी १२५ "

Loading...

Page Navigation
1 ... 373 374 375 376 377 378 379 380 381 382 383 384 385 386 387 388 389 390 391 392 393 394 395 396 397 398 399 400 401 402 403