Book Title: Jain Siddhanta Bol Sangraha Part 08
Author(s): Bhairodan Sethiya
Publisher: Jain Parmarthik Sanstha Bikaner

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Page 370
________________ ३२२ भी सेठिया जैन अन्यमाला ९ . विषय ' ' वोल भाग पृष्ठ प्रमाण साधु के चारित्र को दूपित ६६८ ३ २५४ ठा.१०३ ३ सू ७३८ फग्ने वालेदसं उपघातदोष । साधु के तीन मनोरथ ८६ १६४ ठाउ ४ सू २१० साधु के दस कल्प ६६२ ३ २३४ पचा १७ गा ६-४० साधु के पाँच महावत ३१६ १ ३२१ दश.अ.४, ठा.५ १सू ३८६, प्रवद्वा ६६गा ५५३,ध अधि: ग्लो ३६-४४पृ.१२०.१२४ साधु के वाईस परिपड ६२० ६ १६० सम २२,उत्त में २, प्रवद्धा ८६ . .', 'गा ६८५,तत्वार्थ मश्या सू . साधु के बारह विशेपण ८०६ ४. ३१४,वि सू ३६६ १ साधु के बारह सम्भोग ७६६ ४ २६२ निशी उ ५, सम.१२, व्यव उ.५भाप्य गा. साधु के पावन अनाचीर्ण १००७७ २७२ दश न ३ साधु के वीस कल्प १०४ ६१ वृउ १ माधुकं मलादिपरठने के लिये ६७६ ३ २६४ उत्तम २४ गा १६-१८ दसविशेषण वाला स्थण्डिल साध के लिये अकल्पनीय ८३४ ५ २६ पृट ३पृ.१६-२१ चौदह बातें माधु के लिये, आवश्यक ६१८६१४३ दश भउ २गा ५,गुग श्लो ३० आदि क्रियाक समय उनकी उपेक्षा कर क्या ध्यानादि करना उचित है? माधुके लियेावश्यक वात ४६७ २२१८ नगान गमाचारी वाले साधुग्रां का सम्मिलित आहार यादि व्यवहार सम्भोग हटलाता है।

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